
अंशुल मौर्य
वाराणसी, 8 सितंबर 2025 :
यूपी के वाराणसी जिले में बीती रात चंद्र ग्रहण के दौरान काशी की पावन गंगा के घाट आस्था के रंग में रंग गए। वाराणसी और आसपास के जिलों से हजारों श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए उमड़े, जिन्होंने ग्रहण के स्पर्श, मध्य और मोक्ष काल में डुबकी लगाकर पुण्य अर्जित किया। दशाश्वमेध घाट पर भारी भीड़ के बीच भजन-कीर्तन का माहौल रहा, हालांकि गंगा के बढ़े जलस्तर और तेज धार के कारण श्रद्धालुओं को घाटों पर निर्धारित क्षेत्रों में ही स्नान की अनुमति दी गई।
चंद्र ग्रहण शुरू होने से पहले ही दशाश्वमेध और अन्य घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी थी। रात 9:57 बजे शुरू हुआ ग्रहण 1:27 बजे समाप्त हुआ, जिसके बाद गंगा घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्र ग्रहण के दौरान गंगा स्नान, दान-पुण्य और जप करने से भगवान पर लगने वाला ग्रहण कटता है और पुण्य प्राप्त होता है। यही कारण है कि स्नान के बाद श्रद्धालुओं ने भजन-कीर्तन और दान-पुण्य के कार्य किए।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, प्राचीन काल में ग्रहण के समय लोग ढोल बजाकर और शोर मचाकर राहु-केतु जैसे दैत्यों को भगाने का प्रयास करते थे, जिनके बारे में माना जाता था कि वे सूर्य और चंद्रमा को निगलने की कोशिश करते हैं। इस दौरान जप, तप और दान-पुण्य की परंपरा निभाई जाती थी ताकि देवताओं की रक्षा हो सके। आज भी यह परंपरा कायम है, और ग्रहण के समय पूजा-पाठ व दान को विशेष महत्व दिया जाता है। गंगा के घाटों पर उमड़ी इस भीड़ ने एक बार फिर काशी की आध्यात्मिकता और श्रद्धा की गहराई को उजागर किया।






