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पुतिन के डिनर में राहुल-खड़गे को क्यों नहीं दिया गया न्योता? कांग्रेस ने सरकार पर लगाए ये आरोप

पुतिन के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में हुए डिनर में राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे को न बुलाए जाने पर सियासत गरम हो गई, जबकि शशि थरूर को निमंत्रण मिलने से कांग्रेस ने सरकार पर प्रोटोकॉल तोड़ने और राजनीति करने का आरोप लगाया

नई दिल्ली, 6 दिसंबर 2025:

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सम्मान में राष्ट्रपति भवन में बीती रात आयोजित डिनर एक बड़े राजनीतिक विवाद की वजह बन गया। इस हाई-प्रोफाइल कार्यक्रम में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को निमंत्रण नहीं दिया गया, जबकि पार्टी के ही सांसद शशि थरूर को बुलाया गया है। पुतिन 4 दिसंबर को 23वें भारत-रूस समिट के लिए दो दिन के भारत दौरे पर पहुंचे, जो दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों के 25 साल पूरे होने के मौके पर हुआ। पुतिन इससे पहले 2021 में भारत आए थे, ऐसे में इस बार का दौरा और उस पर उठा यह डिनर विवाद दोनों ही सुर्खियों में हैं।

कांग्रेस का आरोप- तोड़ा गया प्रोटोकॉल

कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि सरकार ने एक बार फिर प्रोटोकॉल तोड़ा है। पार्टी नेता पवन खेड़ा ने कहा कि सरकार रोजाना लोकतांत्रिक मानकों की अनदेखी कर रही है। थरूर के आमंत्रित किए जाने पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने भी सवाल उठाए और कहा कि अगर हमारे शीर्ष नेताओं को बुलाया ही नहीं गया और बाकी नेताओं को न्योता भेजा गया, तो यह समझना होगा कि इसमें राजनीति खेली गई है। उन्होंने कहा कि ऐसे न्योते स्वीकार करना भी एक नैतिक सवाल खड़ा करता है।

थरूर का रुख और पार्टी की नाराजगी

हालांकि शशि थरूर ने स्पष्ट किया कि वह इस कार्यक्रम में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें निमंत्रण किस आधार पर भेजा गया, यह वे नहीं जानते, लेकिन विपक्षी नेताओं को बाहर रखना ठीक नहीं है। थरूर की यह स्थिति ऐसे समय में सामने आई है जब हाल ही में उनके कई बयान केंद्र सरकार की विदेश नीति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली की प्रशंसा वाले रहे हैं।

वहीं, राहुल गांधी ने इससे एक दिन पहले आरोप लगाया था कि सरकार विदेशी नेताओं को विपक्ष से मिलने नहीं देती और विदेश से आने वाले शीर्ष नेताओं (दिग्निटरीज) को कहा जाता है कि वे नेता प्रतिपक्ष से दूरी बनाए रखें। उनका कहना था कि विपक्ष भी भारत का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए विदेशी नेताओं का उनसे मिलना आवश्यक है। सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि विदेशी प्रतिनिधिमंडल खुद तय करता है कि वह किन नेताओं से मिलना चाहता है। सरकारी सूत्रों का दावा है कि जून 2024 में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष (LOP) बनने के बाद राहुल गांधी कम से कम चार विदेशी राष्ट्राध्यक्षों से मिल चुके हैं, जिनमें शेख हसीना भी शामिल हैं।

शशि थरूर और सरकार के बीच बढ़ती नजदीकियां

इस बीच, शशि थरूर की केंद्र से बढ़ती नजदीकियों की चर्चा भी पार्टी के भीतर तेज है। थरूर हाल ही में ऑपरेशन सिंदूर में भारत के राजनयिक प्रतिनिधि के रूप में नजर आए थे। इसके अलावा उन्होंने कई मौकों पर मोदी सरकार की विदेश नीति, अमेरिका दौरे, यूक्रेन युद्ध पर भारत के रुख और कई अन्य मुद्दों पर भी खुलकर तारीफ की है, जिससे कांग्रेस नेतृत्व कई बार असहज दिखाई दिया है।

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