
लखनऊ, 22 अक्टूबर 2024:
उत्तर प्रदेश में बढ़ते अपराधों के मद्देनजर योगी आदित्यनाथ सरकार ने पुलिस मुठभेड़ों (एनकाउंटर) को लेकर नए दिशा निर्देश जारी किए हैं, ताकि पुलिस कार्रवाई पारदर्शी हो और किसी भी प्रकार की जांच में लापरवाही या पक्षपात न हो।
डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) की तरफ से यह निर्देश दिए गए हैं कि अब से हर मुठभेड़ स्थल की वीडियोग्राफी अनिवार्य रूप से की जाएगी। इससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि मुठभेड़ के दौरान क्या हुआ, इसे स्पष्ट तौर पर रिकॉर्ड किया जा सके और किसी भी प्रकार की जांच में यह सबूत के रूप में काम आए।
इसके अलावा, डीजीपी के निर्देशों के मुताबिक, जिस थाने के क्षेत्र में मुठभेड़ होती है, उस थाने की पुलिस जांच नहीं करेगी। जांच का काम किसी अन्य थाने या फिर क्राइम ब्रांच को सौंपा जाएगा।
इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मुठभेड़ की निष्पक्ष जांच हो और स्थानीय पुलिस पर किसी प्रकार का दबाव या प्रभाव न पड़े। साथ ही, मुठभेड़ में शामिल अफसरों की जांच उनसे ऊपर के स्तर के अधिकारी करेंगे, ताकि जांच की गुणवत्ता और निष्पक्षता पर कोई सवाल न उठे।
इन दिशा निर्देशों को सभी जिलों के पुलिस कप्तानों को भेज दिया गया है, ताकि हर जिले में इनका सख्ती से पालन किया जा सके। डीजीपी ने यह भी स्पष्ट किया है कि अगर मुठभेड़ में किसी अपराधी की मौत होती है, तो इसकी सूचना तुरंत उसके परिजनों को दी जाए।
साथ ही, मुठभेड़ स्थल की वीडियोग्राफी की कई कॉपियां बनाई जाएं और उन्हें रिकॉर्ड के तौर पर संरक्षित रखा जाए, ताकि भविष्य में जांच के दौरान इसका इस्तेमाल किया जा सके।
योगी सरकार की इस कार्रवाई का मुख्य उद्देश्य यह है कि पुलिस मुठभेड़ों में पारदर्शिता बनी रहे और किसी भी प्रकार की गलतफहमी या संदेह की स्थिति न बने।
इन नए दिशा निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने के लिए पुलिस अधिकारियों को सख्त हिदायतें दी गई हैं। मुठभेड़ के दौरान हुई घटनाओं की वीडियोग्राफी से न केवल मुठभेड़ों की सत्यता को प्रमाणित किया जा सकेगा, बल्कि पुलिस के कार्यों में पारदर्शिता भी बढ़ेगी।
उत्तर प्रदेश में पिछले सात वर्षों में पुलिस द्वारा किए गए एनकाउंटर की संख्या में वृद्धि देखने को मिली है। आंकड़ों के अनुसार, अब तक 210 अपराधी पुलिस मुठभेड़ों में मारे जा चुके हैं, जबकि 12,000 से अधिक अपराधी घायल हुए हैं।
इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि राज्य में पुलिस द्वारा अपराध पर कड़ा शिकंजा कसा जा रहा है। हालांकि, कई बार मुठभेड़ों को लेकर सवाल उठते रहे हैं, ऐसे में नए दिशा निर्देश इन सवालों का जवाब देने और मुठभेड़ों की प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकते हैं।
सरकार का मानना है कि इन दिशा निर्देशों से पुलिस मुठभेड़ों पर लगने वाले आरोपों में कमी आएगी और हर जांच निष्पक्ष तरीके से पूरी की जा सकेगी।
पुलिसकर्मियों को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि वे इन नए दिशा निर्देशों का पूरी सख्ती से पालन करें और मुठभेड़ों को सही तरीके से अंजाम दें।