
नई दिल्ली, 8 सितंबर 2025:
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अहम फैसला सुनाते हुए आधार कार्ड को वोटर लिस्ट में नाम जुड़वाने के लिए मान्य दस्तावेज घोषित कर दिया है। अब तक चुनाव आयोग 11 दस्तावेजों को मान्यता देता था, लेकिन शीर्ष अदालत के आदेश के बाद आधार को 12वें दस्तावेज के रूप में जोड़ा गया है।
हालांकि, अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि आधार नागरिकता का प्रमाण नहीं है। जस्टिस बागची ने टिप्पणी की कि पासपोर्ट और जन्म प्रमाण पत्र को छोड़कर, चुनाव आयोग द्वारा सूचीबद्ध बाकी सभी दस्तावेज भी नागरिकता साबित नहीं कर सकते।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह अपने सभी अधिकारियों को आधार कार्ड को मान्यता देने के संबंध में तत्काल निर्देश जारी करे। साथ ही यह भी साफ किया गया कि केवल वास्तविक भारतीय नागरिकों को ही मतदाता सूची में शामिल किया जाए और जाली दस्तावेजों के आधार पर नाम जोड़ने की अनुमति न दी जाए।
चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी ने अदालत को बताया कि आधार को नागरिकता प्रमाण के तौर पर स्वीकार करना संभव नहीं है। अदालत ने इस तर्क से सहमति जताई और कहा कि आयोग को आधार कार्ड की वैधता जांचने का पूरा अधिकार होगा।






