लखनऊ, 20 नवंबर, 2025 :
बचपन… वो सुनहरी दुनिया, जहां हर हँसी में खुशियों की मिठास होती है और हर कदम में सपनों की चमक। लेकिन सोचिए, आज भी दुनिया के कई कोनों में बच्चे अपनी हक़ीक़त से अनजान हैं — उन्हें मिलना चाहिए प्यार, सुरक्षा, शिक्षा और समान अवसर, पर ये हर बच्चे के हिस्से में नहीं आता। 20 नवंबर का दिन हमें याद दिलाता है कि हर बच्चे का अधिकार है, हर बच्चा अहम है, और हर बच्चा सुरक्षित और खुशहाल जीवन जीने का हक़दार है।
इसीलिए हर साल 20 नवंबर को विश्व बाल दिवस मनाया जाता है, जो कई लोगों के लिए नया है क्योंकि भारत में पारंपरिक रूप से इसे 14 नवंबर को मनाने की आदत रही है। असल में 14 नवंबर और 20 नवंबर दोनों बाल दिवस हैं, लेकिन इनके इतिहास, उद्देश्य और महत्व में बड़ा फर्क है।
14 नवंबर और 20 नवंबर में क्या फर्क है?
14 नवंबर भारत का बाल दिवस है। इसे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के जन्मदिन पर बच्चों के प्रति उनके प्यार और शिक्षा पर दिए गए महत्व को सम्मान देने के लिए मनाया जाता है। इस दिन स्कूलों और कॉलेजों में सांस्कृतिक कार्यक्रम, प्रतियोगिताएं और बच्चों के लिए विशेष आयोजन होते हैं। इसका उद्देश्य बच्चों को प्यार देना, उनकी खुशियों और सपनों पर ध्यान देना है।
वहीं 20 नवंबर विश्व बाल दिवस है। यह दिन संयुक्त राष्ट्र द्वारा 1954 में निर्धारित किया गया था। इसी दिन 1959 में बाल अधिकारों की घोषणा (Declaration of the Rights of the Child) और 1989 में बाल अधिकार सम्मेलन (CRC) को अंतिम रूप दिया गया। यह दिन बच्चों के अधिकार, सुरक्षा, शिक्षा और समान अवसर की वैश्विक मांग को मजबूत करने के लिए समर्पित है। इस दिन विश्व स्वास्थ्य संगठन, यूनिसेफ और अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं बच्चों के लिए कानून, नीति और अधिकारों पर चर्चा करती हैं।
क्यों है यह दिन खास?
20 नवंबर का विश्व बाल दिवस दुनिया भर में बच्चों के अधिकारों और उनके बेहतर कल के लिए जागरूकता फैलाने का अवसर है। इस दिन बाल श्रम, हिंसा, भेदभाव और गरीबी जैसी समस्याओं पर चर्चा की जाती है। जबकि 14 नवंबर केवल भारत में बच्चों की खुशियों, उनकी शिक्षा और पालन-पोषण के महत्व को लेकर मनाया जाता है।
भारत में भी 20 नवंबर को बच्चों के अधिकारों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस अवसर पर बच्चे, शिक्षक और संस्थान मिलकर बच्चों के कल्याण और सुरक्षित भविष्य के लिए संदेश देंगे। 14 नवंबर और 20 नवंबर दोनों बाल दिवस हैं, लेकिन एक देशीय और दूसरा अंतरराष्ट्रीय महत्व का है। बच्चों के भविष्य और उनके अधिकारों की सुरक्षा के लिए दोनों ही दिन बेहद जरूरी हैं।
विश्व बाल दिवस को मनाने के पीछे छिपा है गूढ़ उद्देश्य
World Children’s Day 2025 का मुख्य उद्देश्य बच्चों की सुरक्षा, स्वास्थ्य, शिक्षा, समान अवसर और सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करना है। दुनिया के कई हिस्सों में बच्चे हिंसा, शोषण, गरीबी, भेदभाव, उपेक्षा, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की कमी जैसी कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं। यूनिसेफ के नेतृत्व में चल रहे इस वैश्विक अभियान का केंद्र है—बच्चों की आवाज़ सुनना और उन्हें निर्णयों में भागीदार बनाना। माता-पिता, शिक्षक, सरकारें और समाज सभी को बच्चों के अधिकारों को समझना, सम्मान करना और सुरक्षित रखना जरूरी है।
विश्व बाल दिवस केवल उत्सव नहीं, बल्कि एक चेतावनी और प्रतिज्ञा का दिन है-कि किसी भी बच्चे की सुरक्षा, शिक्षा या सम्मान समझौते का विषय नहीं हो सकती। हर बच्चे की मुस्कान में दुनिया का भविष्य छुपा है।






