जयपुर, 9 अप्रैल 2025
राजस्थान की एक विशेष अदालत ने 2008 में जयपुर में हुए सिलसिलेवार बम धमाकों के दौरान मिले जिंदा बमों के मामले में मंगलवार को चार आतंकवादियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने मंगलवार को 600 पृष्ठों का फैसला सुनाया।13 मई 2008 को जयपुर में आठ सिलसिलेवार धमाके हुए और नौवां बम चांदपोल बाजार में एक गेस्ट हाउस के पास मिला। इसे विस्फोट होने से 15 मिनट पहले ही निष्क्रिय कर दिया गया था।
अदालत ने टिप्पणी की, “सबसे बड़ी अदालत हमारा दिमाग है… हमारा दिमाग जानता है कि क्या सही है और क्या गलत… सजा दे दी गई है, इसका मतलब है कि अपराध हो गया है।”
इससे पहले मंगलवार को सजा पर बहस के दौरान सरकारी वकील स्पेशल पीपी सागर तिवारी ने आरोपियों के लिए आजीवन कारावास की मांग करते हुए कहा, “दोषियों का कृत्य सबसे गंभीर अपराध है। उनके साथ किसी भी हालत में नरमी नहीं बरती जा सकती।”
अभियुक्तों के बचाव पक्ष के वकील मिनहाजुल हक ने तर्क दिया: “दोषी पहले ही 15 साल जेल में काट चुके हैं। उच्च न्यायालय ने उन्हें अन्य आठ मामलों में बरी कर दिया है। इसे देखते हुए, उन्हें पहले से काटे गए समय के आधार पर न्यूनतम सजा दी जानी चाहिए।”
शुक्रवार को विशेष अदालत ने लाइव बम मामले में सभी चार आरोपियों को दोषी करार दिया। चारों आतंकियों- सैफुर्रहमान, मोहम्मद सैफ, मोहम्मद सरवर आज़मी और शाहबाज़ अहमद को लाइव बम मामले में दोषी ठहराया गया।
चारों आतंकवादियों को भारतीय दंड संहिता की चार धाराओं, गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) की दो धाराओं और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम की तीन धाराओं के तहत दोषी ठहराया गया। इन धाराओं के तहत अधिकतम आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान है।
शाहबाज को छोड़कर अन्य को सीरियल बम विस्फोट मामले में शुरू में मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने उन्हें बरी कर दिया।
मृत्युदंड के खिलाफ राज्य सरकार की अपील फिलहाल सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है। एटीएस ने जिंदा बम मामले में सभी आरोपियों को 25 दिसंबर 2019 को जेल से गिरफ्तार किया था। एटीएस ने जिंदा बम मामले में पूरक आरोप पत्र पेश किया था, जिसमें तीन नए गवाह शामिल थे।
सुनवाई के दौरान एटीएस ने पत्रकार प्रशांत टंडन, पूर्व एडीजी अरविंद कुमार और साइकिल टाइटनर दिनेश महावर समेत कुल 112 गवाहों के बयान दर्ज किए।