
पटना, 2 अगस्त 2025:
बिहार में जारी विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत मतदाता सूची से 65 लाख से अधिक नाम हटा दिए गए हैं। चुनाव आयोग द्वारा शुक्रवार को जारी ड्राफ्ट लिस्ट के अनुसार, गोपालगंज, किशनगंज, मधुबनी, पूर्वी चंपारण और पटना जैसे जिलों में सबसे अधिक कटौती दर्ज की गई है। इससे आगामी चुनावों में सीटों का समीकरण बदल सकता है और राजनीतिक दलों की चिंता भी बढ़ गई है।
चुनाव आयोग के अनुसार, हटाए गए नामों में 22 लाख वे लोग हैं जिनकी मृत्यु हो चुकी है, जबकि 36 लाख ऐसे मतदाता हैं जो स्थायी रूप से राज्य से बाहर स्थानांतरित हो गए हैं। साथ ही, लगभग 7 लाख नाम ऐसे पाए गए जो एक से अधिक स्थानों पर दर्ज थे। आयोग ने स्पष्ट किया है कि 1 सितंबर तक नाम जुड़वाने की प्रक्रिया जारी रहेगी और कोई भी आपत्ति दर्ज की जा सकती है।
आंकड़ों के अनुसार, सबसे ज्यादा नाम पटना जिले से 3,95,500, मधुबनी से 3,52,545, पूर्वी चंपारण से 3,16,793 और गोपालगंज से 3,10,363 हटाए गए हैं। गोपालगंज जिले में कुल मतदाताओं में से 13.9% नाम हटा दिए गए, जो राज्य में सबसे अधिक है।
2020 के विधानसभा चुनावों में जिन 10 सीटों पर सबसे अधिक नाम कटे हैं, उनमें से 7 पर सत्तारूढ़ दल और 3 पर महागठबंधन की जीत हुई थी। इन कटौतियों के बाद दोनों ही गुटों की राजनीतिक रणनीति पर असर पड़ना तय है।
विशेष रूप से गोपालगंज, कुचायकोट, मोतिहारी और किशनगंज जैसे क्षेत्रों में हजारों नामों की कटौती के चलते अगले चुनाव में वोट बैंक और जीत-हार का गणित प्रभावित हो सकता है। विपक्ष ने इस प्रक्रिया में पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं, जबकि आयोग ने इसे नियमित शुद्धिकरण बताया है।