जबलपुर, 22 दिसंबर, 2024
जिस उम्र में युवाओं को पढ़ने लिखने और कैरियर बनाने की चिंता होनी चाहिए उस उम्र में नाबालिग युवा गैंगस्टर बनने का सपना देख रहे हैं। अपना रुतबा जमाने और अपने नाम का खौफ पैदा करने के लिए जबलपुर में इन दिनों बदमाशों की गैंग अब पुलिस को भी खुली चुनौती दे रही है। कुख्यात अपराधियों ने सोशल मीडिया पर पुलिस को खुली चुनौती देते हुए लिखा “पकड़ सको तो पकड़ लो।” यह चुनौती पुलिस के लिए एक गंभीर मामला बन गई। 15 दिन पहले आयुष जैन और सचिन झरिया नामक बदमाशों ने डेयरी कारोबारी अंशुल पटेल पर जानलेवा हमला किया था। चाकू से किए गए इस हमले में अंशुल गंभीर रूप से घायल हो गया। वारदात के बाद से ही दोनों आरोपी फरार थे और पुलिस को लगातार चकमा दे रहे थे।
सोशल मीडिया पर पोस्ट के माध्यम से चुनौती दिए जाने के बाद पुलिस ने उसको चुनौती के रूप में लेते हुए तुरंत हरकत में आई। मामले में तेजी से कार्रवाई करते हुए पुलिस ने दोनों आरोपियों 24 घंटे के अंदर कटनी से गिरफ्तार कर लिया। यह दोनों अपराधी न केवल हत्या के प्रयास के आरोपी हैं, बल्कि इनके खिलाफ पहले से ही कई अन्य गंभीर मुकदमे भी दर्ज हैं। आरोपी आयुष जैन “6161” नाम की एक अपराधी गैंग का सरगना है, जो इलाके में कई अपराधों के लिए कुख्यात है।
टीआई मदनमहल प्रवीण धुर्वे के नेतृत्व में पुलिस टीम ने दोनों अपराधियों को पकड़ने के लिए विशेष योजना बनाई। कटनी में छापेमारी के दौरान इन बदमाशों को दबोच लिया गया। पुलिस की इस कार्रवाई से अपराधियों के हौसले पस्त हो गए हैं। पुलिस ने दोनों आरोपियों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है और आगे की जांच जारी है। यह घटना कानून-व्यवस्था की चुनौती को उजागर करती है, लेकिन पुलिस की सक्रियता और त्वरित कार्रवाई ने एक बार फिर अपराधियों को यह संदेश दिया है कि कानून के शिकंजे से बच पाना मुश्किल है।
दरअसल संस्कारधानी जबलपुर में यह गैंग सोशल मीडिया के इंस्टाग्राम, फेसबुक यूट्यूब में वीडियो अपलोड कर अपने विरोधियों को अपना पावर दिखा रहे हैं। इन बदमाशों के द्वारा हत्या, लूट, आगजनी बमकांड, किडनैपिंग से लेकर हत्या की वारदातों को अंजाम दे रहे है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि यह बदमाश अब पुलिस को भी खुली चुनौती देने लगे हैं। वही इस पूरे मामले को लेकर पुलिस का कहना है कि अपराधियों को पुलिस गिरफ्तार तो करती है। लेकिन नाबालिगों पर सजा का ऐसा कोई सख्त प्रावधान ना होने के कारण यह छूट जाते है। जिसके चलते इनके हौसले बुलंद और भी बुलंद होने से दूसरी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।
हाल में ही बीते दिन जबलपुर में गैंगस्टर बनने का सपना देख रहे हैं मानस उपाध्याय की 3 युवाओं सहित एक 15 साल के नाबालिक ने मिलकर मानस की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी जिसके बाद सभी अपराधियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। क्योंकि अपराध चाहे कितना भी जघन्य क्यों न हो, बाल अपराधी (जुवेनाइल) को अधिकतम 3 साल की सजा तक की सजा का ही प्रावधान है। और यह भारतीय कानून की बाध्यता है।
पिछले दिनों माढ़ोताल में 22 वर्षीय गैंगस्टर मानस उपाध्याय की गोली मारकर हत्या कर दी गई। मानस भी सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय था और इंस्टाग्राम पर अपने वीडियो अपलोड करता था। पुलिस का कहना है कि ऐसे बदमाश सोशल मीडिया को अपने प्रभाव और डर फैलाने का माध्यम बना रहे हैं। कुछ समय पहले पुलिस ने “बड्डू पटेल” नामक एक युवक को फिल्मी अंदाज में गिरफ्तार किया, जिसका वीडियो भी वायरल हुआ। इस घटना से यह साफ हुआ कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अब अपराधियों के लिए प्रचार का माध्यम बन गए हैं।
नैदानिक मनोचिकित्सक डॉ. मीरा राय का मानना है कि फिल्मों और टीवी सीरियल्स में दिखाए जाने वाले अपराधों और नशे के ग्लैमर ने युवाओं पर गहरा असर डाला है। घर से ज्यादा आजादी और माता-पिता की लापरवाही भी इसे बढ़ावा दे रही है। उनका सुझाव है कि अभिभावकों को बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार करना चाहिए और उनकी गतिविधियों पर नजर रखनी चाहिए। साथ ही, बच्चों को सही मार्गदर्शन और सकारात्मक माहौल देने की आवश्यकता है, ताकि वे अपराध की दुनिया से दूर रह सकें।