
अंशुल मौर्य
वाराणसी,23 जनवरी 2025:
यूपी के वाराणसी में गंगा नदी में बढ़ती नावों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए वाराणसी नगर निगम ने बड़ा फैसला लिया है। मोटर बोट के लाइसेंस शुल्क को 650 रुपये से बढ़ाकर 5000 रुपये और चप्पू वाली नाव के लाइसेंस शुल्क को 650 रुपये से 1000 रुपये कर दिया गया है। साथ ही, अब नाविकों को भी नौका संचालन के लिए लाइसेंस लेना अनिवार्य होगा। हालांकि, इस कदम का विरोध नाविक समाज ने शुरू कर दिया है, और वे नगर निगम के इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाने की तैयारी में हैं।
गंगा में सुरक्षित संचालन के लिए कदम
नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि यह निर्णय गंगा में सुरक्षित नौका संचालन सुनिश्चित करने के लिए लिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि कई बार अव्यस्क और गैर-पेशेवर नाविक भी नाव चलाते हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ता है। अब लाइसेंस प्राप्त करने के लिए शारीरिक फिटनेस और तैराकी टेस्ट अनिवार्य कर दिया गया है।
गंगा की स्वच्छता और सीएनजी नावों को बढ़ावा
गंगा नदी की स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए डीजल से चलने वाली नावों पर रोक लगाने का भी फैसला लिया गया है। नगर निगम अब सीएनजी नावों को बढ़ावा दे रहा है। पिछले चार वर्षों में लगभग 700 नावों को सीएनजी में परिवर्तित किया जा चुका है। यह पहल गंगा की स्वच्छता और पर्यावरण सुरक्षा के लिए एक अहम कदम है।
नावों की संख्या पर नियंत्रण
गंगा में जाम की स्थिति से बचने के लिए नगर निगम ने नए नाव लाइसेंस जारी करने पर रोक लगा दी है। इसके अलावा, एक परिवार को केवल एक ही लाइसेंस दिए जाने का फैसला किया गया है, ताकि सभी नाविकों को समान अवसर मिल सके।
नाविक समाज का विरोध
नाविक समाज ने नगर निगम पर उपेक्षापूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया है। मां गंगा निषादराज सेवा न्यास के अध्यक्ष प्रमोद मांझी ने कहा कि नगर निगम नाविकों को आर्थिक बोझ तले दबा रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सीएनजी और लाइसेंस के नाम पर नाविकों को परेशान किया जा रहा है। नाविक समाज ने इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन करने और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ने का ऐलान किया है।
नगर निगम की सफाई
नगर निगम के जनसंपर्क अधिकारी संदीप श्रीवास्तव का कहना है कि यह निर्णय गंगा नदी की स्वच्छता और सुरक्षित संचालन के लिए लिया गया है। उन्होंने कहा कि शुल्क बढ़ोतरी से नाविकों को आर्थिक रूप से लाभ होगा और यह कदम उनके हित में है।
गंगा नदी की स्वच्छता, सुरक्षा, और नावों की संख्या को नियंत्रित करने के लिए यह पहल जरूरी है, लेकिन नाविक समाज के समर्थन के बिना इसे सफल बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है।