नई दिल्ली, 8 फरवरी 2025
तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जे जयललिता के कानूनी उत्तराधिकारियों ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देते हुए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें न्यायालय ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में जब्त की गई पूर्व अन्नाद्रमुक प्रमुख की संपत्ति वापस करने से इनकार कर दिया था।
उनकी भतीजी का कहना है कि चूंकि जयललिता की बरी किए जाने के खिलाफ अपील दिसंबर 2016 में उनकी मृत्यु के बाद खारिज हो गई है, इसलिए उनके कानूनी उत्तराधिकारी उन सभी चल और अचल संपत्तियों को वापस पाने के हकदार हैं, जिन्हें मामले के सिलसिले में जब्त और कुर्क किया गया था।
याचिकाकर्ता ने यह भी बताया कि कर्नाटक उच्च न्यायालय के आदेश के बाद, विशेष न्यायालय ने 29 जनवरी, 2025 को एक आदेश पारित कर जब्त की गई संपत्तियों को तमिलनाडु सरकार को हस्तांतरित कर दिया और रजिस्ट्रार, सिटी सिविल कोर्ट, बेंगलुरु को संपत्तियां राज्य सरकार को सौंपने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने का निर्देश दिया। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा है कि वह अपनी चाची जयललिता की द्वितीय श्रेणी की कानूनी उत्तराधिकारी की हैसियत से याचिका दायर कर रही हैं, जिसमें चल और अचल दोनों प्रकार की संपत्ति वापस करने तथा अचल संपत्तियों के संबंध में कुर्की हटाने की मांग की गई है।
याचिका में कहा गया है कि कर्नाटक राज्य ने दिवंगत जे जयललिता को बरी करने के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी। हालांकि, चूंकि मामले के विचाराधीन रहने के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी, इसलिए उनकी मृत्यु के बाद उनके खिलाफ आपराधिक अपील समाप्त हो गई थी।
इसलिए, याचिकाकर्ता के अनुसार, चूंकि अपील निरस्त हो गई है, कुर्क की गई संपत्ति को जब्त करने/जब्त करने के लिए विशेष न्यायालय का निर्देश उस पर लागू नहीं होता।