नई दिल्ली, 13 फरवरी 2025
दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने 1984 के सिख विरोधी दंगों के मामले में कांग्रेस के पूर्व सांसद सज्जन कुमार को दोषी करार दिया है। इस हिंसा ने देश को हिलाकर रख दिया था। विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने बुधवार को फैसला सुनाया, जिसमें सज्जन कुमार को सिख पिता-पुत्र जसवंत सिंह और तरुणदीप सिंह की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया। इन दोनों की हत्या 1 नवंबर 1984 को दिल्ली के सरस्वती विहार इलाके में की गई थी।दिल्ली कैंट इलाके में सिख विरोधी दंगों के एक अन्य मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे सज्जन कुमार को फैसला सुनाने के लिए तिहाड़ जेल से अदालत में पेश किया गया। अदालत ने सजा पर बहस के लिए 18 फरवरी की तारीख तय की है।
1 नवम्बर 1984 को क्या हुआ था ?
अभियोजन पक्ष के अनुसार, 31 अक्टूबर 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद एक सशस्त्र भीड़ ने दिल्ली भर में बड़े पैमाने पर लूटपाट, आगजनी और सिखों पर हमले किए थे। भीड़ ने सिख समुदाय को निशाना बनाया तथा घरों और व्यवसायों को जला दिया था।
जसवंत सिंह और उनके बेटे तरुणदीप सिंह की सरस्वती विहार में हत्या कर दी गई, उनके घर में लूटपाट की गई और आग लगा दी गई। अदालत के आदेश में सज्जन कुमार को न केवल हिंसा में भाग लेने के लिए बल्कि भीड़ का नेतृत्व करने के लिए भी जिम्मेदार ठहराया गया।
फैसले में कहा गया, “अदालत को प्रथम दृष्टया यह राय बनाने के लिए पर्याप्त सामग्री मिली कि वह न केवल एक भागीदार था, बल्कि उसने भीड़ का नेतृत्व भी किया था।”
दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (डीएसजीएमसी) के महासचिव जगदीप सिंह कहलों ने अदालत के फैसले का स्वागत किया और इसे न्याय की दिशा में एक कदम बताया।
कहलों ने कहा, “40 साल पहले सिख नरसंहार का नेतृत्व करने वाले सज्जन कुमार को दोषी ठहराया गया है। मैं इस फैसले के लिए अदालत को धन्यवाद देता हूं। मैं बंद मामलों की फिर से जांच करने के लिए एसआईटी बनाने के लिए पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को भी धन्यवाद देता हूं। यह सजा उसी प्रयास का नतीजा है। हमें उम्मीद है कि जगदीश टाइटलर मामले में भी हमें न्याय मिलेगा।”
ट्रायल के दौरान बचाव पक्ष के वकील अनिल शर्मा ने दलील दी कि सज्जन कुमार का नाम मूल केस फाइल में शामिल नहीं था। उन्होंने यह भी बताया कि 1984 के दंगों के एक अन्य मामले में सज्जन कुमार की सज़ा, जिसे 2018 में दिल्ली उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा था, वर्तमान में सुप्रीम कोर्ट में अपील के अधीन है।
दूसरी ओर, अतिरिक्त लोक अभियोजक मनीष रावत ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि पीड़िता शुरू में नहीं जानती थी कि कुमार कौन है, लेकिन बाद में उसने अपने बयान में उसका नाम बताया।
दंगा पीड़ितों का लंबे समय से प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का ने तर्क दिया कि 1984 के सिख विरोधी दंगे अलग-अलग घटनाओं की श्रृंखला नहीं थे, बल्कि एक बड़े, सुनियोजित नरसंहार का हिस्सा थे। उन्होंने आधिकारिक आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि अकेले दिल्ली में 2,700 सिख मारे गए थे।
कौन हैं सज्जन कुमार ?
सज्जन कुमार कांग्रेस नेता और पूर्व सांसद थे। उनका राजनीतिक जीवन 1977 में शुरू हुआ जब वे दिल्ली नगर निगम के लिए चुने गए। बाद में वे दिल्ली के पार्षद बने और 2004 में बाहरी दिल्ली से लोकसभा चुनाव जीते।
इंदिरा गांधी की उनके सिख अंगरक्षकों द्वारा हत्या के बाद, कई गवाहों ने सज्जन कुमार पर सिखों के घरों और व्यवसायों पर हमला करने के लिए भीड़ को उकसाने का आरोप लगाया। जीवित बचे लोगों ने गवाही दी कि उन्होंने हिंसक भीड़ का नेतृत्व किया और सिख समुदाय पर हमलों को प्रोत्साहित किया।
2018 में दिल्ली हाई कोर्ट ने 1984 के दंगों के एक अन्य मामले में सज्जन कुमार को दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई। तब से वह तिहाड़ जेल में अपनी सज़ा काट रहे हैं।