गोरखपुर, 20 फरवरी 2025:
सल्फरलेस चीनी का उत्पादन करने वाली गोरखपुर की पिपराइच चीनी मिल जल्द ही एथेनॉल का भी उत्पादन करेगी। इसके लिए मिल में 60 किलो लीटर प्रति दिन उत्पादन क्षमता वाली डिस्टिलरी स्थापित की जाएगी। योगी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में इसके लिए 90 करोड़ रुपये की व्यवस्था कर दी है। एथेनॉल उत्पादन से किसानों को गन्ना मूल्य भुगतान में तेजी आएगी।
पिपराइच चीनी मिल का सफर
पिपराइच में पहली बार 1932 में एक निजी क्षेत्र की चीनी मिल स्थापित हुई थी, जिसका 1974 में अधिग्रहण किया गया। लेकिन यह मिल 1999 में बंद हो गई। बंद मिलों को फिर से शुरू करने के लिए बतौर सांसद योगी आदित्यनाथ ने लगातार आवाज उठाई, लेकिन तत्कालीन सरकारों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ ने बंद मिल के परिसर में नई चीनी मिल स्थापित करने का निर्णय लिया। 17 नवंबर 2019 को रिकॉर्ड समय में मिल का निर्माण पूरा कर पेराई सत्र की शुरुआत की गई। यह मिल गन्ने से चीनी उत्पादन के साथ उसके बाई-प्रोडक्ट से बिजली भी उत्पन्न करती है। 9 दिसंबर 2020 को मुख्यमंत्री ने पिपराइच चीनी मिल में सल्फरलेस चीनी प्लांट का लोकार्पण कर इसे एक मॉडल मिल का दर्जा दिया। इस मिल की क्षमता 50,000 क्विंटल गन्ना प्रतिदिन पेराई करने की है, जो पुरानी मिल की तुलना में छह गुना अधिक है।
एथेनॉल उत्पादन से किसानों को मिलेगा लाभ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पहले ही पिपराइच चीनी मिल में डिस्टिलरी लगाने की घोषणा कर चुके थे। गुरुवार को पेश किए गए बजट में इसके लिए 90 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। मिल में गन्ने के रस से सीधे एथेनॉल बनाने वाले प्लांट की स्थापना की जाएगी, जिससे किसानों को समय पर भुगतान मिलने के साथ ही राज्य को भी आर्थिक लाभ होगा।