लखनऊ,4 मार्च 2025:
विधान परिषद में सोमवार को सदस्यों ने विधायक निधि के उपयोग से संबंधित मुद्दा उठाते हुए चिंता व्यक्त की। जिलों में मुख्य विकास अधिकारी (सीडीओ) द्वारा 31 मार्च तक निधि खर्च करने का दबाव बनाए रखने से सदस्यों के बीच असंतोष की लहर दौड़ गई है। अधिकारियों का तर्क है कि निर्धारित समयसीमा में निधि का उपयोग न होने पर इसे वापस सरकारी खजाने में भेजा जा सकता है।
सदस्यों ने बताया कि विकास कार्यों के प्रस्तावों को पारित होने में कई वर्ष लग जाने के बावजूद, अधिकारियों द्वारा 31 मार्च तक निधि खर्च करने का दबाव असंगत प्रतीत होता है, जिसके चलते विपक्ष और सत्तापक्ष के सदस्यों ने सरकार से स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की है; सपा की ओर से आशुतोष सिन्हा व किरण पाल कश्यप तथा भाजपा की ओर से उमेश द्विवेदी व हरि सिंह ढिल्लो समेत कई नेताओं ने इस मांग को आगे रखा है, जबकि श्रम एवं सेवायोजन मंत्री ने आश्वासन दिया कि यदि निधि बची रहती है तो अगले वर्ष उसे उपयोग किया जाएगा, और अधिष्ठाता जयपाल सिंह व्यस्त ने सरकार से निर्देश दिया है कि इस मुद्दे का सर्वमान्य हल शीघ्रता से निकाला जाए ताकि भविष्य में इस प्रकार की असमंजस की स्थिति से बचा जा सके।
विधान परिषद के सदस्यों को हर वर्ष विधायक निधि के रूप में पाँच करोड़ रुपये प्रदान किए जाते हैं। यह निधि विभिन्न विकास कार्यों के लिए आवंटित की जाती है, लेकिन समयसीमा के दबाव को लेकर उठ रहे मुद्दे ने व्यापक चर्चा का विषय बना दिया है।