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उत्तराखंड को बड़ी सौगात : केदारनाथ-हेमकुंड साहिब रोपवे प्रोजेक्ट को कैबिनेट की मंजूरी

देहरादून, 5 मार्च 2025:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (CCEA) ने उत्तराखंड के लिए बहुप्रतीक्षित गोविंदघाट-हेमकुंड साहिब रोपवे परियोजना को मंजूरी दे दी है। इस महत्वाकांक्षी परियोजना की कुल लागत 2,730.13 करोड़ रुपये होगी। इसे डिजाइन, निर्माण, वित्त, संचालन और हस्तांतरण (DBFOT) मोड पर विकसित किया जाएगा।

तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को मिलेगी बड़ी राहत

फिलहाल, श्रद्धालुओं को गोविंदघाट से हेमकुंड साहिब तक 21 किलोमीटर की कठिन चढ़ाई करनी पड़ती है, जो पैदल, टट्टू या पालकी के जरिए पूरी होती है। नया रोपवे बनने से यात्रा सुविधाजनक, तेज और सुगम हो जाएगी, जिससे न केवल श्रद्धालुओं को राहत मिलेगी, बल्कि फूलों की घाटी आने वाले पर्यटकों को भी बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी।

तकनीकी विशेषताएं और क्षमता

-इस परियोजना को सार्वजनिक-निजी भागीदारी (PPP) मॉडल पर विकसित किया जाएगा। रोपवे का निर्माण दो चरणों में किया जाएगा।
-गोविंदघाट से घांघरिया (10.55 किमी) – मोनोकेबल डिटैचेबल गोंडोला (MDG) तकनीक
-घांघरिया से हेमकुंड साहिब (1.85 किमी) – अत्याधुनिक ट्राइकेबल डिटैचेबल गोंडोला (3S) तकनीक
-इस रोपवे की कुल क्षमता प्रति घंटे प्रति दिशा 1,100 यात्री (PPHPD) होगी, जिससे रोजाना लगभग 11,000 यात्री यात्रा कर सकेंगे।

रोजगार और आर्थिक विकास को मिलेगा बढ़ावा

रोपवे परियोजना निर्माण और संचालन के दौरान प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उत्पन्न करेगी। इसके अलावा, पर्यटन, आतिथ्य, यात्रा और खाद्य एवं पेय (F&B) उद्योगों को भी नया प्रोत्साहन मिलेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी।

हेमकुंड साहिब और फूलों की घाटी को मिलेगा फायदा

हेमकुंड साहिब उत्तराखंड के चमोली जिले में 15,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित एक प्रमुख सिख तीर्थस्थल है, जहां हर साल 1.5 से 2 लाख श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं। यह क्षेत्र फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान का प्रवेश द्वार भी है, जिसे यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल का दर्जा प्राप्त है।

सामाजिक-आर्थिक विकास की दिशा में बड़ा कदम

यह रोपवे परियोजना न केवल तीर्थयात्रियों के लिए कनेक्टिविटी को सुनिश्चित करेगी, बल्कि उत्तराखंड के दूरस्थ क्षेत्रों में संतुलित सामाजिक और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगी। इस ऐतिहासिक परियोजना के पूरा होने से उत्तराखंड के धार्मिक और प्राकृतिक पर्यटन को नया आयाम मिलेगा और यात्रा सुगम, सुरक्षित और सुविधाजनक बनेगी।

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