
हरेन्द्र दुबे
गोरखपुर, 11 मार्च 2025:
रंगों का पर्व होली गोरक्षपीठ की परंपरा में सामाजिक समरसता का प्रतीक है। गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपनी व्यस्तताओं के बावजूद इस परंपरा को निभाते हुए होलिकादहन और होली की शोभायात्राओं में शामिल होते हैं। इस वर्ष भी वे 13 मार्च की शाम को पांडेयहाता से निकलने वाली होलिका दहन शोभायात्रा और 14 मार्च की सुबह घंटाघर से निकलने वाली भगवान नृसिंह की रंगभरी शोभायात्रा में सम्मिलित होंगे।
गोरखनाथ मंदिर में पारंपरिक विधि से होलिकादहन होता है, जिसके बाद गोरक्षपीठाधीश्वर भस्म का तिलक कर होली का शुभारंभ करते हैं। यह परंपरा भक्त प्रह्लाद और भगवान नृसिंह के पौराणिक आख्यान से जुड़ी है, जो भक्ति की शक्ति और सामाजिकता को जोड़ने का संदेश देती है। गोरक्षपीठ की अगुवाई वाला गोरखपुर का होली महोत्सव जातीय भेदभाव और छुआछूत की खाई पाटने का प्रतीक बन चुका है।
गोरखपुर में भगवान नृसिंह रंगोत्सव शोभायात्रा की शुरुआत 1944 में संघ प्रचारक नानाजी देशमुख ने की थी। इसके बाद ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ ने इसे आगे बढ़ाया और 1996 से योगी आदित्यनाथ ने इसे पूर्वी उत्तर प्रदेश में सामाजिक समरसता का प्रतीक बना दिया। यह शोभायात्रा अब मथुरा-वृंदावन की होली की तरह प्रसिद्ध हो चुकी है। हजारों लोग इस शोभायात्रा में शामिल होते हैं, जहां गोरक्षपीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ रंगों में सराबोर होकर बिना भेदभाव के सबको शुभकामनाएं देते हैं।






