
हरेन्द्र दुबे
गोरखपुर, 12 मार्च 2025 :
नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र वीर विक्रम शाह देव का स्वागत करने के लिए निकले एक जुलूस ने नेपाल की राजनीति में भूचाल ला दिया। इस जुलूस में सिर्फ राजा की तस्वीरें नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भी विशाल तस्वीरें लहराई जा रही थीं। यह नजारा नेपाल सरकार को नागवार गुजरा और नतीजा यह हुआ कि प्रदीप विक्रम राणा को रातों-रात अपना ही देश छोड़ना पड़ा।
बाइक जुलूस बना विवाद का कारण
नेपाल के काठमांडू में 9 मार्च को त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर जब पूर्व नरेश पहुंचे, तो हजारों की भीड़ उमड़ी। काठमांडू के बालाजू वार्ड नंबर 16 के निवासी प्रदीप विक्रम राणा अपने समर्थकों के साथ बाइक जुलूस लेकर पहुंचे थे। इस जुलूस में राजा ज्ञानेंद्र के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें भी नजर आईं। बस यहीं से विवाद शुरू हो गया।
नेपाल सरकार ने इस जुलूस को भारत सरकार और योगी आदित्यनाथ के इशारे पर प्रायोजित बता दिया। देखते ही देखते पुलिस प्रदीप विक्रम के घर पहुंचने लगी, आरोपों की झड़ी लग गई, और दबाव इतना बढ़ा कि उन्हें नेपाल छोड़कर रक्सौल बॉर्डर से भारत में शरण लेनी पड़ी।
गोरखपुर में छलका दर्द: ‘मैंने कुछ गलत नहीं किया, मेरी लड़ाई जारी रहेगी’
गोरखपुर जर्नलिस्ट्स प्रेस क्लब में मीडिया से बात करते हुए प्रदीप विक्रम राणा ने अपने ऊपर हुए जुल्म की दास्तान बयां की। उन्होंने कहा, “मेरा गुनाह सिर्फ इतना था कि मैंने हिंदू राष्ट्र और राजशाही की मांग की। नेपाल में आज सच बोलने वालों को प्रताड़ित किया जा रहा है।”
बड़ी बात यह है कि नेपाल सरकार ने उन पर यह आरोप लगाया कि उन्होंने बीजेपी और योगी आदित्यनाथ से पैसे लेकर यह जुलूस निकाला। प्रदीप ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा, “अगर यह साबित हो जाए कि मैंने किसी से पैसा लिया है, तो मैं अपनी जान दे दूंगा। मेरे पास चार गाड़ियां हैं, मेरा बेटा पायलट है, मेरी बेटी डॉक्टर है, मुझे किसी से पैसे लेने की जरूरत नहीं है।”
पुलिस का पीछा, भूख, बेबसी और फिर नेपाल से भागने की मजबूरी
प्रदीप ने बताया कि नेपाल सरकार ने उनके बैंक अकाउंट ब्लॉक कर दिए हैं। “मेरे पास पैसे तो हैं, लेकिन मैं नेपाल में एक रुपया भी नहीं निकाल सकता। पूरे दिन भूखा रहा, पैसेंजर ट्रेन से नरकटियागंज होते हुए गोरखपुर पहुंचा।”
लेकिन मुश्किलें सिर्फ प्रदीप तक सीमित नहीं रहीं। काठमांडू के शिक्षक मात्रिका निरोला ने जब प्रदीप को फोन इस्तेमाल करने दिया, तो अब नेपाल पुलिस उनके परिवार को भी प्रताड़ित कर रही है। नतीजा यह हुआ कि मात्रिका भी नेपाल छोड़कर गोरखपुर आ गए।
‘नेपाल सरकार गिरेगी, तभी लौटूंगा’
प्रदीप विक्रम राणा ने साफ कहा कि जब तक नेपाल में यह सरकार सत्ता में है, वे वहां नहीं लौट सकते। उन्होंने कहा, “मुझे मार दो, लेकिन मेरी आवाज नहीं दबा सकते। मेरी लड़ाई हिंदू राष्ट्र और राजशाही के लिए थी और अंतिम सांस तक जारी रहेगी।”
नेपाल में जारी इस पूरे घटनाक्रम पर राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई है। अब सवाल यह है कि क्या यह किसी बड़े राजनीतिक परिवर्तन की आहट है?