कानपुर, 23 मार्च 2025
उत्तर प्रदेश के आईआईटी कानपुर में क्वांटम रिसर्च पर एक महत्वपूर्ण चर्चा शुरू हुई है, जिसमें आईआईटी, आईआईएससी और आईबीएम क्वांटम इंडिया मिशन के विशेषज्ञों ने भारत की स्थिति पर विचार किया। विशेषज्ञों ने बताया कि भारत, अमेरिका और चीन के मुकाबले क्वांटम रिसर्च में 10 साल पीछे है, लेकिन यहां तेजी से आगे बढ़ने और बढ़त लेने के मौके हैं। उन्होंने कहा कि क्वांटम तकनीक से जुड़ी कई डिवाइस बाजार में आ चुकी हैं या आने वाली हैं, और भारत को तय करना होगा कि सप्लाई-चेन के किस हिस्से पर वह लीड लेगा।
आईआईटी कानपुर में “क्वांटम क्वेस्ट” के तहत स्कूली बच्चों को क्वांटम के बारे में जागरूक किया जा रहा है। इस पहल का उद्देश्य नेशनल क्वांटम मिशन के तहत क्वांटम तकनीक की समझ बढ़ाना है। विशेषज्ञों का मानना है कि क्वांटम रिसर्च को आगे बढ़ाने के लिए एक बड़ा टैलेंट पूल और हाई-क्वॉलिटी जॉब्स की आवश्यकता है। बच्चों ने एनपीटेल के क्वांटम कोर्स में भारी रुचि दिखाई है, और यदि सॉफ़्टवेयर इंजीनियरों के साथ क्वांटम के विशेषज्ञ जुड़ते हैं, तो भारत को इस क्षेत्र में एक अद्वितीय संयोजन मिल सकता है।
क्वांटम रिसर्च से समस्याओं का समाधान तेजी से मिलने की उम्मीद है। जहां दवाओं की खोज में कई साल लगते हैं, वहीं क्वांटम कंप्यूटिंग से यह प्रक्रिया सिर्फ 1-2 साल में पूरी हो सकती है। हालांकि भारत सेमी-कंडक्टर तकनीक में 50 साल पीछे है, क्वांटम रिसर्च में भारत के पास अमेरिका और चीन से पीछे होने के बावजूद बढ़त लेने के मौके हैं। अगले साल से क्वांटम फिजिक्स में एमटेक कोर्स शुरू होने की उम्मीद है, और इस क्षेत्र में 2000 पीएचडी स्कॉलर और 82,000 प्रशिक्षित स्टूडेंट्स की आवश्यकता होगी।