
नई दिल्ली, 28 मार्च 2025
भारतीय सेना के मेजर सेफास चेतन ने सेना की जरूरत को पूरा करने के लिए कामिकाजी FPV ड्रोन को विकसित किया है, जिसे अब पठानकोट में सेना की एक ब्रिगेड में शामिल किया गया है। इसे चंडीगढ़ स्थित टर्मिनल बैलेस्टिक्स रिसर्च लैब के साथ मिलकर बनाया गया है। इस ड्रोन के जरिए दुश्मन के टैंक को निशाना बनाया जा सकता है, क्योंकि यह एंटी टैंक म्युनिशन (युद्ध सामग्री) ले जाने में सक्षम है। अब तक 5 ऐसे ड्रोन सेना में शामिल हो गए हैं, और 95 और ड्रोन जल्द सेना को मिलेंगे। एक ड्रोन की कीमत 1 लाख 40 हजार रुपये है।
FPV (फर्स्ट पर्सन व्यू) ड्रोन एक हाई स्पीड वाला ड्रोन है, जो लाइव इमेजेज़ को सीधे हेडसेट पर ट्रांसमिट करता है, जिससे पायलट को कॉकपिट जैसा अनुभव मिलता है। इस प्रकार के ड्रोन का इस्तेमाल रूस-यूक्रेन युद्ध में भी यूक्रेन ने किया था। यह भारतीय सेना का पहला प्रोजेक्ट है, जिसे अगस्त 2024 में शुरू किया गया था। इस प्रोजेक्ट के तहत कम कीमत वाले, लेकिन प्रभावी एरियल स्ट्राइक सिस्टम विकसित करने के लिए रिसर्च और ट्रायल किए गए हैं।
इन FPV ड्रोन को भारतीय सेना के राइजिंग स्टार ड्रोन बैटल स्कूल में पूरी तरह से इन-हाउस असेंबल किया गया है। ऑपरेटर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पेलोड सिस्टम में डबल सेफ्टी फीचर्स को शामिल किया गया है, जिससे ट्रांसपोर्ट, हैंडलिंग और उड़ान के दौरान आकस्मिक विस्फोट से बचाव होता है। ड्रोन के ट्रिगर मैकेनिज़म में भी सुरक्षा का पूरा ख्याल रखा गया है, ताकि पेलोड सिर्फ नियंत्रित परिस्थितियों में ही सक्रिय हो सके। एक लाइव फीडबैक रिले सिस्टम पायलट को FPV गॉगल्स के माध्यम से पेलोड की स्थिति के बारे में रियल टाइम अपडेट देता है, जिससे सटीक निशाना और त्वरित फैसले लिए जा सकते हैं।






