नई दिल्ली | 18 अप्रैल 2025
श्रीमद्भगवद्गीता और भरत मुनि के नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल कर लिया गया है। यह रजिस्टर विश्व की महत्वपूर्ण दस्तावेजी विरासतों को संरक्षित करता है और आम जनता तक उनकी पहुंच को आसान बनाता है। इसके साथ ही भारत के 14 अभिलेख अब इस वैश्विक सूची में दर्ज हो चुके हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस उपलब्धि पर खुशी जताते हुए कहा कि यह हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा कि गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया जाना हमारी शाश्वत बुद्धिमत्ता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की वैश्विक मान्यता है। पीएम मोदी ने यह भी कहा कि इन ग्रंथों ने सदियों से सभ्यता और चेतना को पोषित किया है और इनकी अंतर्दृष्टि आज भी पूरी दुनिया को प्रेरित करती है।
केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इसकी जानकारी देते हुए लिखा कि यह भारत की सभ्यतागत विरासत के लिए ऐतिहासिक क्षण है। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता और नाट्यशास्त्र कालातीत रचनाएँ हैं जो न सिर्फ साहित्यिक खजाना हैं, बल्कि भारत की दार्शनिक और सौंदर्यवादी सोच की नींव भी हैं।
यूनेस्को का मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड प्रोग्राम वर्ष 1992 में शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य दुनिया की मूल्यवान दस्तावेजी विरासत को सुरक्षित रखना और उसे जनसामान्य के लिए सुलभ बनाना है। इसके माध्यम से सदियों पुराने दस्तावेजों को संरक्षित कर अगली पीढ़ियों तक पहुंचाया जाता है।