
नई दिल्ली, 28 अप्रैल 2025
देश में बढ़ते सड़क हादसों और इलाज की सुविधाओं की कमी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। सोमवार को जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की पीठ ने कैशलेस इलाज योजना में देरी को लेकर नाराजगी जताई। कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि जब मोटर वाहन अधिनियम की धारा 164A तीन साल पहले प्रभाव में आई थी, तो अब तक योजना क्यों लागू नहीं की गई?
सुनवाई के दौरान अदालत ने सड़क परिवहन मंत्रालय के सचिव से सवाल किया कि क्या सरकार आम आदमी के कल्याण को लेकर गंभीर है? कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि आप बड़े-बड़े हाईवे बना रहे हैं लेकिन सड़क हादसों के बाद पीड़ितों के इलाज की कोई समुचित व्यवस्था नहीं है। अदालत ने कहा कि ‘गोल्डन ऑवर’ यानी हादसे के एक घंटे के भीतर इलाज सबसे अहम होता है, लेकिन इसके लिए कोई कारगर योजना नहीं है।
मंत्रालय के सचिव ने अदालत को बताया कि एक ड्राफ्ट योजना तैयार की गई थी, लेकिन जनरल इंश्योरेंस काउंसिल (GIC) ने आपत्ति जताई थी। GIC ने तर्क दिया कि दुर्घटना में शामिल वाहन की बीमा पॉलिसी की स्थिति जांचने की अनुमति चाहिए। इस विवाद के चलते योजना में देरी हुई। इस पर कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि आप कानूनों का पालन करने में विफल हो रहे हैं और अवमानना कर रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से 9 मई तक योजना को रिकॉर्ड में दर्ज कराने को कहा है। साथ ही निर्देश दिया कि गोल्डन ऑवर ट्रीटमेंट योजना को एक सप्ताह में लागू किया जाए। मामले की अगली सुनवाई 13 मई को होगी। अदालत ने दो टूक कहा कि जब सड़क हादसों में लोग मर रहे हैं तो केवल हाईवे निर्माण से देश का भला नहीं होगा, सुविधाएं भी जरूरी हैं।