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मुस्लिमों से भी पूछी जाएगी जाति: ओबीसी कैटेगरी में आ सकते हैं पसमांदा मुसलमान

नई दिल्ली | 2 मई 2025

सरकार ने पहली बार देशभर में आम जनगणना के साथ-साथ जातीय जनगणना कराने की घोषणा की है। इस ऐतिहासिक कदम के तहत मुस्लिम समुदाय से भी उनकी जाति पूछी जाएगी। इस बार के जनगणना फॉर्म में धर्म के साथ-साथ जाति का कॉलम भी सभी के लिए अनिवार्य होगा।

मुसलमानों में मौजूद विभिन्न जातियों का आंकड़ा पहली बार संगठित रूप से सामने लाया जाएगा। खासतौर पर पसमांदा मुसलमानों को ओबीसी वर्ग में शामिल करने पर विचार हो रहा है। पसमांदा समुदाय मुस्लिमों का 80 से 85 प्रतिशत हिस्सा है, जो अब तक सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा रहा है।

सरकार का उद्देश्य इस आंकड़े के जरिए यह दिखाना है कि पूरा मुस्लिम समाज एक समान नहीं है, बल्कि उसमें भी सामाजिक स्तर पर भिन्नताएं मौजूद हैं। हालांकि, धार्मिक आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं है, इसलिए मुस्लिम आरक्षण की सीधी मांग को स्वीकार नहीं किया जाएगा।

जनगणना कार्य अगले दो-तीन महीनों में शुरू होगा और इसे 15 दिनों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इस बार की जनगणना डिजिटल तरीके से की जाएगी, जिसमें आधार से जुड़ी जानकारी, बायोमेट्रिक और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का भी उपयोग किया जाएगा।

सरकार का लक्ष्य है कि 2029 के लोकसभा चुनाव महिला आरक्षण और परिसीमन के नए आधार पर कराए जाएं। जनगणना के बाद ओबीसी की संख्या के अनुसार आरक्षण की सीमा 27% से अधिक करने पर भी विचार किया जा सकता है।

इस बीच, राहुल गांधी का तेलंगाना फॉर्मूला अस्वीकार कर दिया गया है, जिसे ओबीसी, एससी-एसटी वर्गों के लिए खतरनाक बताया गया। विपक्षी इंडिया गठबंधन में इस फैसले को लेकर मतभेद उभर सकते हैं, जिससे उत्तर बनाम दक्षिण बहस को भी हवा मिल सकती है।

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