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विदेश सचिव विक्रम मिस्री के बचाव में उतरे असदुद्दीन ओवैसी, कहा – वो एक सभ्य और ईमानदार राजनयिक

नई दिल्ली, 12 मई 2025

भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध विराम समझौते के बाद शुरू हुई सोशल मीडिया की जंग में लोगों ने विदेश सचिव विक्रम मिस्री को ट्रोल किया। जिसे लेकर के अब ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने विदेश सचिव विक्रम मिस्री का बचाव किया है, साथ ही औवेसी ने कहा कि वो एक सभ्य और ईमानदार राजनयिक है। बता दे कि दोनों देशों के बीच चल रहे तनाव में समझौते के तहत सीजफायर लागू हुआ जिसपर देशभर में लोग भड़क गए और सोशल मीडिया पर विक्रम मिस्री की जमकर आलोचनाओं की जिसके चलते उन्हें अपना अकाउंट तक ब्लॉग करना पड़ा।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में ओवैसी ने मिसरी को एक सभ्य और मेहनती राजनयिक बताया और लिखा, “श्री विक्रम मिसरी एक सभ्य और ईमानदार मेहनती राजनयिक हैं जो हमारे देश के लिए अथक परिश्रम कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “हमारे सिविल सेवक कार्यपालिका के अधीन काम करते हैं, यह याद रखना चाहिए और उन्हें कार्यपालिका या वतन-ए-अजीज को चलाने वाले किसी राजनीतिक नेतृत्व द्वारा लिए गए निर्णयों के लिए दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए।”  श्री विक्रम मिसरी एक सभ्य और ईमानदार मेहनती राजनयिक हैं जो हमारे देश के लिए अथक परिश्रम कर रहे हैं।
हमारे सिविल सेवक कार्यपालिका के अधीन काम करते हैं, यह याद रखना चाहिए और उन्हें कार्यपालिका या वतन ए. को चलाने वाले किसी भी राजनीतिक नेतृत्व द्वारा लिए गए निर्णयों के लिए दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए।

ऑपरेशन सिंदूर  :

पहलगाम आतंकवादी के बाद भारतीय सेना व्दारा ऑपरेशन सिंदूर शुरू करने के बाद, मिसरी ने कर्नल कुरैशी और विंग कमांडर सिंह के साथ एक प्रेस वार्ता को संबोधित किया।  7 मई की ब्रीफिंग में मिसरी ने कहा, “पहलगाम में हमला अत्यंत बर्बरतापूर्ण था, जिसमें पीड़ितों को बहुत नजदीक से सिर में गोली मारकर और उनके परिवार के सामने मार दिया गया… परिवार के सदस्यों को जानबूझ कर इस तरह से मारा गया कि उन्हें संदेश वापस ले लेना चाहिए। यह हमला कश्मीर में सामान्य स्थिति बहाल होने से रोकने के उद्देश्य से किया गया था।” शनिवार को विदेश सचिव मिसरी ने पुष्टि की कि पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशक (DGMO) ने इस सप्ताह के प्रारंभ में अपने भारतीय समकक्ष से संपर्क किया था और दोनों पक्ष भूमि, समुद्र और वायु पर सभी सैन्य कार्रवाइयों को रोकने पर सहमत हुए थे।

 

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