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न्यायमूर्ति बीआर गवई आज देश के 52वें सीजेआई के रूप में शपथ लेंगे

नई दिल्ली, 14 मई 2025

आज बुधवार 14 मई को न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई (बीआर गवई) देश के नए चीफ जस्टिस बनने जा रहे है। वह भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में आज शपथ लेंगे । देश की न्यायपालिका के इतिहास में पहली बार देश को एक बौद्ध मुख्य न्यायाधीश मिलनेगा। आजादी के उपरांत वह देश में दलित समुदाय से आने वाले दूसरे न्यायाधीश होगें। बता दे कि साल 2007 में पूर्व सीजेआई केजी बालाकृष्णन पहले दलित सीजेआई बने थे। चीफ जस्टिस के तौर पर न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई का कार्यकाल 6 महीने का होगा।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू न्यायमूर्ति गवई को पद की शपथ दिलाएंगी, बीआर गवई पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना का स्थान लेंगे। राष्ट्रपति मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 124(2) के तहत शक्तियों का प्रयोग करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति गवई को भारत का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया था और बाद में विधि एवं न्याय मंत्रालय ने उनकी नियुक्ति को अधिसूचित किया था।

न्यायमूर्ति गवई को 24 मई, 2019 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था। पिछले छह वर्षों में, वे संवैधानिक और प्रशासनिक कानून, नागरिक कानून, आपराधिक कानून, वाणिज्यिक विवाद, मध्यस्थता कानून, बिजली कानून, शिक्षा मामले और पर्यावरण कानून सहित विभिन्न विषयों से संबंधित मामलों से निपटने वाली लगभग 700 पीठों का हिस्सा थे। उन्होंने कानून के शासन को कायम रखने और नागरिकों के मौलिक अधिकारों, मानवाधिकारों और कानूनी अधिकारों की रक्षा करने वाले विभिन्न मुद्दों पर संविधान पीठ के निर्णयों सहित लगभग 300 निर्णय लिखे हैं।

वह 12 नवंबर 2005 को बॉम्बे उच्च न्यायालय के स्थायी न्यायाधीश बने। उन्होंने मुंबई में मुख्य पीठ के साथ-साथ नागपुर, औरंगाबाद और पणजी में सभी प्रकार के कार्यभार वाली पीठों की अध्यक्षता की। इससे पहले मीडिया के साथ अनौपचारिक बातचीत में न्यायमूर्ति गवई ने पहलगाम में हुई दुखद घटना पर दुख व्यक्त किया और कहा कि जब देश शोक में है तो सर्वोच्च न्यायालय अछूता नहीं रह सकता।

बिहार के पूर्व राज्यपाल आर.एस. गवई के पुत्र न्यायमूर्ति गवई को इस बात पर गर्व है कि वह देश के पहले बौद्ध मुख्य न्यायाधीश बनने वाले हैं। उन्होंने कहा, “मेरे पिता ने बाबा साहेब अंबेडकर के साथ बौद्ध धर्म अपनाया था। मैं देश का पहला बौद्ध मुख्य न्यायाधीश बनूंगा।” न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि वह सभी धर्मों में विश्वास रखते हैं और उन्होंने कहा, “मैं मंदिरों, दरगाहों, जैन मंदिरों, गुरुद्वारों हर जगह जाता हूं।”

 

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