National

शिलांग-सिलचर हाईवे: पूर्वोत्तर को जोड़ेगा हाई-स्पीड कॉरिडोर, बांग्लादेश पर निर्भरता होगी कम

शिलांग | 17 मई 2025

भारत सरकार ने पूर्वोत्तर भारत की कनेक्टिविटी को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए 22,864 करोड़ रुपये की लागत से शिलांग-सिलचर ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर परियोजना को मंजूरी दी है। यह प्रोजेक्ट असम और मेघालय के बीच संपर्क को आसान बनाएगा और बांग्लादेश पर व्यापारिक निर्भरता को कम करेगा।

इस हाईवे की कुल लंबाई 166.80 किलोमीटर होगी, जिसमें 144.80 किलोमीटर हिस्सा मेघालय से और 22 किलोमीटर हिस्सा असम से होकर गुजरेगा। यह कॉरिडोर साल 2030 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई पिछली कैबिनेट बैठक में इसे मंजूरी दी गई थी।

इस कॉरिडोर का प्रमुख उद्देश्य मेघालय के कोयला और सीमेंट उद्योग क्षेत्रों को सुगम सड़क संपर्क देना है, जिससे क्षेत्रीय उद्योग को बढ़ावा मिलेगा। इसके साथ ही गुवाहाटी, शिलांग और सिलचर एयरपोर्ट को जोड़कर पर्यटन को भी गति मिलेगी।

राष्ट्रीय राजमार्ग एवं अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (NHIDCL) के अधिकारियों के मुताबिक, यह कॉरिडोर न केवल सड़क परिवहन को सशक्त बनाएगा बल्कि कोलकाता और विजाग से पूर्वोत्तर को जोड़ने के लिए वैकल्पिक समुद्री रास्ते भी खोलेगा। इससे मौजूदा सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर निर्भरता कम होगी।

इस परियोजना को तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह पहाड़ी और भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों से होकर गुजरेगा। इसलिए विशेष निर्माण तकनीकों और लेटेस्ट तकनीकी निगरानी उपकरणों का उपयोग किया जाएगा।

यह परियोजना उस वक्त और भी अहम हो जाती है जब हाल ही में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने चीन में दिए गए एक बयान में भारत के पूर्वोत्तर को लैंड लॉक्ड क्षेत्र करार दिया था। भारत ने इस बयान पर कड़ी प्रतिक्रिया देने के साथ-साथ अब जमीनी स्तर पर भी रणनीतिक उत्तर देना शुरू कर दिया है।

यह हाई-स्पीड कॉरिडोर न केवल पूर्वोत्तर की भौगोलिक स्थिति को मजबूत करेगा, बल्कि भारत की ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ को भी मजबूती प्रदान करेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button