Uttar Pradesh

पनवारी कांड: जब दलित की बारात को लेकर हुआ खूनी संघर्ष, बुलानी पड़ी थी सेना, 34 साल बाद आया फैसला

मयंक चावला

आगरा,28 मई 2025:

यूपी के आगरा के चर्चित पनवारी कांड में 34 साल बाद आखिरकार कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। मामला 1990 का है, जब पनवारी गांव (थाना सिकंदरा) में अनुसूचित जाति की बेटी की बारात चढ़ाने को लेकर जमकर बवाल हुआ था।
पुलिस की मौजूदगी में भड़की हिंसा, हजारों पर केस
21 जून 1990 को चोखेलाल जाटव की बेटी मुद्रा की शादी थी। बारात नगला पद्मा (थाना सदर) से आई थी, लेकिन जाट समाज के कुछ लोगों ने बारात चढ़ने का विरोध किया। अगले दिन पुलिस-प्रशासन की मौजूदगी में जब दोबारा बारात चढ़ाई जा रही थी, तभी 5-6 हजार लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई और माहौल बेकाबू हो गया। भीड़ को रोकने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज किया, फिर हालात इतने बिगड़े कि फायरिंग करनी पड़ी, जिसमें सोनीराम जाट की मौत हो गई। इसके बाद गांव से लेकर शहर तक हिंसा फैल गई और कर्फ्यू तक लगाना पड़ा। सेना को भी बुलाना पड़ा था।

पूरा मामला एससी-एसटी एक्ट समेत कई गंभीर धाराओं में दर्ज हुआ था। 5 से 6 हजार लोगों के खिलाफ केस लिखा गया, लेकिन घटनास्थल से किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई।

34 साल बाद आया अदालत का फैसला

अब, 34 साल बाद एससी-एसटी स्पेशल कोर्ट (पुष्कर उपाध्याय की अदालत) ने 36 लोगों को दोषी ठहराया है, जबकि 15 को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। इस दौरान अब तक 27 आरोपियों मृत्यु हो चुकी है। वहीं, भाजपा विधायक चौधरी बाबूलाल को कोर्ट ने पहले ही, 2022 में बरी कर दिया था।
अब दोषियों को दी जाने वाली सजा की घोषणा 30 मई को अदालत द्वारा की जाएगी।

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