नई दिल्ली, 5 जून 2025
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 जून विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर ‘एक पेड़ मां के नाम’ अभियान के तहत भगवान महावीर वनस्थली पार्क में पौधारोपण किया। इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली से गुजरात तक फैली 700 किलोमीटर लंबी अरावली पर्वत श्रृंखला को पुनः वनरोपण करने की विशेष पहल की भी शुरुआत की। इस अभियान के तहत दिल्ली से गुजरात तक पेड़ लगाए जाएंगे।
एक्स पर एक पोस्ट में प्रधानमंत्री ने कहा कि अरावली पर्वतमाला पृथ्वी पर सबसे पुरानी पर्वतमालाओं में से एक है, जो गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली को कवर करती है, तथा पिछले कई वर्षों में इस पर्वतमाला से संबंधित कई पर्यावरणीय चुनौतियां सामने आई हैं, जिन्हें कम करने के लिए उनकी सरकार प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा, “हमारा ध्यान इस श्रेणी से जुड़े क्षेत्रों का कायाकल्प करने पर है।
हम संबंधित स्थानीय प्रशासन के साथ मिलकर काम करेंगे और जल प्रणालियों में सुधार, धूल भरी आंधी पर अंकुश लगाने, थार रेगिस्तान के पूर्व की ओर विस्तार को रोकने आदि पर जोर देंगे।” उन्होंने कहा, “अरावली पर्वतमाला और उसके आगे, पारंपरिक रोपण विधियों के अलावा, हम नई तकनीकों को प्रोत्साहित करेंगे, खासकर शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में जहां जगह की कमी है। वृक्षारोपण गतिविधियों को जियो-टैग किया जाएगा और मेरी लाइफ पोर्टल पर उनकी निगरानी की जाएगी।”
प्रधानमंत्री ने युवाओं से इस अभियान में भाग लेने और धरती के हरित क्षेत्र को बढ़ाने में योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने दिल्ली सरकार की सतत परिवहन पहल के तहत इलेक्ट्रिक बसों को भी हरी झंडी दिखाई। प्रधानमंत्री ने कहा, “इससे दिल्ली के लोगों के लिए ‘जीवन सुगमता’ भी बढ़ेगी।” अरावली हरित दीवार परियोजना तीन राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के 29 जिलों में अरावली के आसपास के पांच किलोमीटर के बफर क्षेत्र में हरित आवरण का विस्तार करने की एक प्रमुख पहल है।
सरकार ने कहा कि यह पहल क्षेत्र में वायु प्रदूषण से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी, जिससे 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाने और 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर बंजर भूमि को पुनः स्थापित करने के भारत के जलवायु लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकेगा। सरकार ने कहा कि यह परियोजना वनरोपण, पुनर्वनीकरण और जल निकायों के जीर्णोद्धार के माध्यम से अरावली की जैव विविधता को बढ़ाएगी। इससे क्षेत्र में मिट्टी की उर्वरता और जल उपलब्धता में भी सुधार होगा।
इसमें कहा गया कि इस परियोजना से रोजगार और आय के अवसर पैदा होने से स्थानीय समुदायों को लाभ होगा। परियोजना के शुभारंभ में दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात के मुख्यमंत्रियों ने भी भाग लिया।
पर्यावरण मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि इस पहल के तहत अरावली पर्वतमाला में स्थित 29 जिलों में लगभग 1,000 नर्सरियां विकसित की जाएंगी। पांच किलोमीटर चौड़ा यह ग्रीन बफर गुजरात, राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली में 6.45 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र को कवर करेगा। इस बफर जोन में, लगभग 42 प्रतिशत (2.7 मिलियन हेक्टेयर) भूमि वर्तमान में बंजर है।
अरावली पर्वतमाला मरुस्थलीकरण के विरुद्ध एक प्राकृतिक अवरोध के रूप में कार्य करती है, थार रेगिस्तान के विस्तार को रोकती है तथा दिल्ली, जयपुर और गुरुग्राम जैसे शहरों की रक्षा करती है। यह चंबल, साबरमती और लूनी जैसी महत्वपूर्ण नदियों का स्रोत भी है। इसके जंगल, घास के मैदान और आर्द्रभूमि लुप्तप्राय पौधों और जानवरों की प्रजातियों का समर्थन करते हैं। वनों की कटाई, खनन, पशुचारण और मानव अतिक्रमण के कारण मरुस्थलीकरण की स्थिति और खराब हो रही है, जलभृतों को नुकसान पहुंच रहा है, झीलें सूख रही हैं और वन्यजीवों को जीवित रखने की इस क्षेत्र की क्षमता कम हो रही है। कुल अवक्रमित क्षेत्र का 81 प्रतिशत राजस्थान में, 15.8 प्रतिशत गुजरात में, 1.7 प्रतिशत हरियाणा में तथा 1.6 प्रतिशत दिल्ली में है।