नई दिल्ली, 21 जून 2025
कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस पार्टी के सांसद शशि थरूर के बीच चल रहे मतभेद अब खुलकर सामने आ रहे है। ऑपरेशन सिंदूर के तहत देश के सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडलों में शामिल शशि थरूर जब देश लौटे थे तब उन्होंने साफ कहा था कि उनके और कुछ पार्टी के नेताओं के बीच मतभेद हैं। वहीं शशि थरूर ने दावा भी किया था कि आगामी उपचुनाव के लिए उनकी पार्टी ने उन्हें प्रचार के लिए भी नहीं पूछा।
अब शशि थरूर के इसी दावे का पार्टी ने पूरी तरह से खंडन किया है कि पार्टी नेतृत्व ने उन्हें केरल में नीलांबुर विधानसभा उपचुनाव के लिए प्रचार में शामिल होने के लिए कभी नहीं कहा था। पार्टी ने कहा कि तिरुवनंतपुरम के सांसद थरूर पार्टी के स्टार प्रचारकों की आधिकारिक सूची में थे, लेकिन नेता अन्य प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए विदेश में थे।शुक्रवार को पत्रकारों से बात करते हुए केरल कांग्रेस अध्यक्ष सनी जोसेफ ने कहा कि सूची में शामिल कई अन्य नेता केरल पहुंचे और उनके उम्मीदवार आर्यदान शौकत के लिए प्रचार अभियान में भाग लिया, लेकिन थरूर इसमें शामिल नहीं हुए।
सनी जोसेफ ने कहा, “हमने आधिकारिक तौर पर सूची प्रकाशित की थी और इसे चुनाव आयोग को सौंप दिया था। इसमें शशि थरूर का नाम भी शामिल था। वह ज़्यादातर समय विदेश में रहे और फिर दिल्ली में। मुझे नहीं पता कि वह केरल आए भी या नहीं।” “इस बारे में मुझे और कुछ नहीं कहना है।” जोसेफ ने कहा, “ए.के. एंटनी को छोड़कर सभी अन्य नेताओं ने चुनाव में सहयोग किया।” उन्होंने विशेष रूप से रमेश चेन्निथला और कोडिकुन्निल सुरेश जैसे नेताओं का नाम लिया, जो उपचुनाव अभियान में शामिल हुए थे।
केरल कांग्रेस प्रमुख का स्पष्टीकरण ऐसे समय में आया है जब एक दिन पहले तिरुवनंतपुरम से चार बार लोकसभा सांसद रहे थरूर ने संवाददाताओं से कहा था कि पार्टी ने उनसे नीलांबुर उपचुनाव अभियान में शामिल होने के लिए कभी नहीं कहा था।थरूर ने कहा, “मुझे पार्टी ने आमंत्रित नहीं किया था। लेकिन यह ठीक है,” उन्होंने आगे कहा कि वे चुनाव प्रचार के दौरान अधिकांश समय विदेश में आधिकारिक राजनयिक दौरे पर रहे। थरूर ने कहा, “जब मैं वापस आया तो नेतृत्व की ओर से कोई आग्रह या मिस्ड कॉल नहीं आया कि मुझे आना चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि उनके लौटने के बाद भी नेतृत्व की ओर से कोई तत्परता नहीं दिखाई गई। नीलांबुर उपचुनाव 19 जून को संपन्न हुआ और परिणाम 23 जून को घोषित किये जायेंगे।
पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ भारत के सैन्य संघर्ष के बाद अमेरिका और लैटिन अमेरिका में पांच देशों के संसदीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने के बाद थरूर हाल ही में भारत लौटे हैं। कांग्रेस नेतृत्व ने विदेश यात्रा के दौरान थरूर की इस टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताई थी कि 2016 में भारतीय सेना द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा के पार भारत द्वारा की गई पहली सर्जिकल स्ट्राइक थी। कांग्रेस ने कहा कि पार्टी सांसद को पता होना चाहिए कि यूपीए शासन के दौरान भी ऐसे घटिया ऑपरेशन किए गए थे।
सात प्रतिनिधिमंडलों में उनके शामिल होने से विवाद भी पैदा हुआ था, क्योंकि कांग्रेस ने दावा किया था कि प्रतिनिधिमंडलों में पार्टी नेताओं को शामिल करने की उसकी सिफारिशों को नजरअंदाज कर दिया गया था। उल्लेखनीय है कि राजनयिक से राजनेता बने थरूर कांग्रेस के उम्मीदवारों की सूची में नहीं थे और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और ऑपरेशन सिंदूर पर भारतीय दृष्टिकोण के उनके स्पष्ट प्रतिनिधित्व के बाद सरकार ने उन्हें चुना था।