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ईरान ने किया हॉर्मुज जलडमरूमध्य बंद करने का इशारा, भारत समेत पूरी दुनिया पर दिखेगा असर

नई दिल्ली, 23 जून 2025
ईरान की संसद ने अमेरिका के हमलों के जवाब में हॉर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) को बंद करने की मंजूरी दे दी है। हालांकि अंतिम निर्णय ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल लेगी। यह कदम वैश्विक तेल व्यापार को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है, खासकर भारत जैसे देशों के लिए जो इस रास्ते से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल आयात करते हैं।

हॉर्मुज जलडमरूमध्य एक संकीर्ण समुद्री मार्ग है जो फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और आगे अरब सागर से जोड़ता है। यह मार्ग ईरान और ओमान के बीच स्थित है और विश्व के लगभग 20% तेल और 25% समुद्री कच्चा तेल व्यापार इसी मार्ग से होता है। 2024 और 2025 की पहली तिमाही में इस रास्ते से 20 मिलियन बैरल प्रति दिन तेल की आपूर्ति हुई थी।

हालिया अमेरिकी हमले में ईरान के तीन सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया था, जिसके बाद से तेहरान जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दे रहा था। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने संकेत दिया कि “ईरान के पास कई विकल्प मौजूद हैं।”

इस कदम की आर्थिक और रणनीतिक गंभीरता को देखते हुए अमेरिका, चीन और अन्य देश चिंतित हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने चीन से अपील की है कि वह ईरान को ऐसा न करने की सलाह दे क्योंकि चीन भी इस मार्ग से भारी मात्रा में तेल आयात करता है।

भारत के लिए इसका क्या मतलब है?
EIA (यूएस एनर्जी इन्फॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन) के अनुसार, 2024 में इस मार्ग से गुजरने वाले तेल का 84% हिस्सा एशियाई बाजारों में गया, जिनमें भारत, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया प्रमुख हैं। भारत रूस, अमेरिका और अफ्रीका से भी तेल खरीदता है, लेकिन हॉर्मुज के बंद होने से कीमतों में तेज़ी आएगी, जिससे आम जनता से लेकर औद्योगिक क्षेत्र तक सभी प्रभावित होंगे।

हालांकि ईरान अब तक कभी इस जलडमरूमध्य को पूरी तरह बंद नहीं कर पाया है, लेकिन मौजूदा हालात में यह संकट दुनिया के ऊर्जा बाजार में भूचाल ला सकता है।

नई दिल्ली, 23 जून:
ईरान की संसद ने अमेरिका के हमलों के जवाब में हॉर्मुज जलडमरूमध्य (Strait of Hormuz) को बंद करने की मंजूरी दे दी है। हालांकि अंतिम निर्णय ईरान की सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल लेगी। यह कदम वैश्विक तेल व्यापार को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है, खासकर भारत जैसे देशों के लिए जो इस रास्ते से बड़ी मात्रा में कच्चा तेल आयात करते हैं।

हॉर्मुज जलडमरूमध्य एक संकीर्ण समुद्री मार्ग है जो फारस की खाड़ी को ओमान की खाड़ी और आगे अरब सागर से जोड़ता है। यह मार्ग ईरान और ओमान के बीच स्थित है और विश्व के लगभग 20% तेल और 25% समुद्री कच्चा तेल व्यापार इसी मार्ग से होता है। 2024 और 2025 की पहली तिमाही में इस रास्ते से 20 मिलियन बैरल प्रति दिन तेल की आपूर्ति हुई थी।

हालिया अमेरिकी हमले में ईरान के तीन सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया था, जिसके बाद से तेहरान जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दे रहा था। ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने संकेत दिया कि “ईरान के पास कई विकल्प मौजूद हैं।”

इस कदम की आर्थिक और रणनीतिक गंभीरता को देखते हुए अमेरिका, चीन और अन्य देश चिंतित हैं। अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने चीन से अपील की है कि वह ईरान को ऐसा न करने की सलाह दे क्योंकि चीन भी इस मार्ग से भारी मात्रा में तेल आयात करता है।

भारत के लिए इसका क्या मतलब है?
EIA (यूएस एनर्जी इन्फॉर्मेशन एडमिनिस्ट्रेशन) के अनुसार, 2024 में इस मार्ग से गुजरने वाले तेल का 84% हिस्सा एशियाई बाजारों में गया, जिनमें भारत, चीन, जापान और दक्षिण कोरिया प्रमुख हैं। भारत रूस, अमेरिका और अफ्रीका से भी तेल खरीदता है, लेकिन हॉर्मुज के बंद होने से कीमतों में तेज़ी आएगी, जिससे आम जनता से लेकर औद्योगिक क्षेत्र तक सभी प्रभावित होंगे।

हालांकि ईरान अब तक कभी इस जलडमरूमध्य को पूरी तरह बंद नहीं कर पाया है, लेकिन मौजूदा हालात में यह संकट दुनिया के ऊर्जा बाजार में भूचाल ला सकता है।

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