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ऑपरेशन सिंदूर के बाद भी नहीं सुधर रहा पाकिस्तान, आतंकवादी शिविरों का फिर से कर रहा पुनर्निर्माण

नई दिल्ली, 28 जून 2025

आतंकवादियों को पहनाह और उनका सरक्षण कर अपने देश का विनाश करने वाला पाकिस्तान भारत के ऑपरेशर सिंदूर के बाद भी नहीं सुधर रहा है। पाकिस्तान एक बार फिर ऑपरेशन सिंदूर से तबाह हुए आतंकी प्रशिक्षण शिविरों और लॉन्च पैड्स की पुनर्निर्माण की कोशिशें शुरू कर दी हैं।

भारतीय खुफिया एजेंसियों से मिली जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तानी सेना, आईएसआई (इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस) और सरकार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के आसपास के इलाकों में इन आतंकी बुनियादी ढांचे को फिर से स्थापित करने की कोशिश कर रही है। ऐसा लगता है कि भारी हमलों और हवाई निगरानी से बचने के लिए नियंत्रण रेखा (एलओसी) से सटे जंगलों और पहाड़ी इलाकों में छोटे-छोटे हाई-टेक प्रशिक्षण शिविर स्थापित किए जा रहे हैं।

हैरानी की बात है कि यह काम भारतीय वायुसेना द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम), हिजबुल मुजाहिदीन और द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) जैसे आतंकी संगठनों के ठिकानों को तबाह करने के कुछ हफ्तों के भीतर ही शुरू हो गया है।

रडार से बचने की तकनीकों से लैस :

नए बनाए गए शिविरों में लूनी, पुटवाल, टीपू पोस्ट, जमील पोस्ट, उमरांवाली, चपरार फॉरवर्ड और जंग लोरा शामिल हैं। इन क्षेत्रों में शिविरों को थर्मल, रडार और सैटेलाइट सिग्नल से अदृश्य बनाने के लिए तकनीक से लैस किया जा रहा है। केल, सरदी, दुधनियाल, अटमुकाम, जुरा, लीपा, पचीबन, कहुटा, कोटली, खुरट्टा, मंदार, निकेल, चमनकोट और जनकोट जैसे क्षेत्रों में भी नए शिविर बनाए जा रहे हैं। चूंकि ये घने जंगलों और पहाड़ी इलाकों में स्थित हैं, इसलिए इन्हें ड्रोन और सैटेलाइट के लिए अदृश्य बनाया जा रहा है।

ऑपरेशन सिंदूर :

22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत के बाद भारत सरकार ने जवाबी कार्रवाई में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ शुरू किया था। इस ऑपरेशन में भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा पार किए बिना पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के कुछ हिस्सों में आतंकी शिविरों पर हमला किया था। इस हमले में स्वदेशी ड्रोन, लंबी दूरी की गाइडेड मशीनें और एयर डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल किया गया था।

भारतीय वायुसेना ने चीन द्वारा पाकिस्तान को सप्लाई किए गए एयर डिफेंस सिस्टम को जाम कर दिया और भारत ने सिर्फ 23 मिनट में टारगेट को नष्ट कर दिया। इस हमले के लिए (इसरो) को दस सैटेलाइट से मिली खुफिया जानकारी अहम थी।

 

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