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घाना क्यों कहलाता है ‘गोल्ड कोस्ट’? जानिए सोने की दौलत से जुड़ी पूरी कहानी

अक्रा, घाना | 3 जुलाई 2025

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन दिनों पश्चिमी अफ्रीकी देश घाना के दौरे पर हैं. यह वही देश है जिसे ‘गोल्ड कोस्ट’ कहा जाता है — क्योंकि यहां सोने के विशाल भंडार हैं और यह विश्व में छठा सबसे बड़ा सोना उत्पादक देश है. भारत सहित कई देश यहां से सोना आयात करते हैं.

घाना के पास इतना अधिक सोना क्यों है, इसका उत्तर इसके भूगर्भीय इतिहास में छिपा है. यह देश पश्चिमी अफ्रीका के उस क्रेटन क्षेत्र में स्थित है, जहां की चट्टानें अरबों साल पुरानी हैं. ये चट्टानें खनिज तत्वों से भरपूर हैं. विशेष रूप से ‘बिरमियन ग्रीनस्टोन बेल्ट’ नामक चट्टानें सोने के भंडार के लिए जानी जाती हैं.

प्राचीन समय में ज्वालामुखी विस्फोटों और भूमिगत गर्म द्रवों के कारण सोने के अंश जमीन के अंदर चट्टानों में जमा हो गए थे. समय के साथ जब ये चट्टानें सतह पर आईं, तो उनमें से सोना बाहर निकलकर नदियों और घाटियों में पहुंचा और वहां “प्लेसर गोल्ड” के रूप में जमा हो गया. इसी से खनन होता है.

घाना सरकार ने खनन नीति को विदेशी निवेश के अनुकूल बनाया है, जिससे यहां कई अंतरराष्ट्रीय कंपनियां अत्याधुनिक तकनीकों से सोने का खनन कर रही हैं. खनन की प्रक्रिया में सबसे पहले जमीन में सोने की उपस्थिति की पुष्टि की जाती है, फिर खुदाई कर चट्टानों को तोड़कर रसायनों की मदद से उनमें से सोना निकाला जाता है. शुद्धिकरण के बाद सोने की ईंटें (ब्रिक) तैयार की जाती हैं.

घाना हर साल करीब 140.6 टन सोने का उत्पादन करता है. इसका निर्यात मुख्य रूप से भारत, संयुक्त अरब अमीरात, स्विट्जरलैंड और दक्षिण अफ्रीका को किया जाता है.

विश्व स्तर पर सोना उत्पादन में पहले स्थान पर चीन (380 टन), रूस (330 टन), ऑस्ट्रेलिया (284 टन), कनाडा (202 टन), अमेरिका (158 टन) हैं. छठे पायदान पर घाना है, जो अपने सोने की विरासत और समृद्ध खनिज संपदा के कारण वैश्विक मानचित्र पर ‘गोल्ड कोस्ट’ के नाम से प्रसिद्ध है.

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