
नई दिल्ली | 3 जुलाई 2025
दिल्ली में ओवरएज वाहनों के खिलाफ चलाए जा रहे सख्त अभियान के तहत प्रशासन की कार्रवाई पर अब सवाल उठने लगे हैं. 1 जुलाई से लागू नई नीति के तहत पुराने वाहनों को न केवल ईंधन देने से मना किया गया है, बल्कि उन्हें जब्त कर स्क्रैपिंग के लिए भेजने का आदेश भी दिया गया है.
हालांकि, बुधवार को सामने आए आंकड़े चौंकाने वाले हैं. सीसीटीवी फुटेज में 78 ओवरएज वाहनों की पहचान की गई, लेकिन सिर्फ 7 वाहनों को ही जब्त किया गया. शेष 71 वाहनों को नो-ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) होने के चलते छोड़ दिया गया. इसके विपरीत, मंगलवार को कुल 80 वाहन जब्त किए गए थे.
सीएक्यूएम (वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग) के निर्देशों के अनुसार, 15 साल से पुराने पेट्रोल और 10 साल से पुराने डीजल वाहनों को अब दिल्ली में न तो ईंधन मिलेगा और न ही उन्हें सड़कों पर चलने की अनुमति है. नियम के मुताबिक, केवल CNG से चलने वाले ओवरएज वाहनों को इस कार्रवाई से छूट दी गई है.
परिवहन विभाग, दिल्ली पुलिस और एमसीडी ने बुधवार को मिलकर कुल 7 वाहनों को जब्त किया—जिसमें एक वाहन परिवहन विभाग ने, और 3-3 वाहन पुलिस व एमसीडी ने जब्त किए.
दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष निश्चल सिंघानिया ने कहा कि बुधवार को पेट्रोल पंपों पर वाहनों की संख्या बेहद कम थी, और तकनीकी खामियों को काफी हद तक ठीक कर लिया गया है. हालांकि कैमरा प्लेसमेंट में अभी सुधार की जरूरत है.
एक पेट्रोल पंप संचालक ने कहा कि सिर्फ ओवरएज होना ही प्रदूषण का कारण नहीं है, यदि वाहन का रखरखाव ठीक से किया गया हो तो वह कम प्रदूषण करता है.
मार्च 2025 तक दिल्ली में ऐसे पुराने वाहनों की संख्या 60 लाख से अधिक मानी जा रही है. 2023 में 22,000 और 2024 में 39,000 से ज्यादा ओवरएज वाहन जब्त किए जा चुके हैं.
फिलहाल, इस नीति को लेकर आम आदमी पार्टी ने इसे जनविरोधी और कॉरपोरेट समर्थक बताते हुए विरोध दर्ज कराया है.