
नई दिल्ली, 4 जुलाई 2025
लगभग चार साल बाद अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को बड़ी जीत हासिल हुई है। रूस ने ऐतिहासिक कदम उठाते हुए तालिबान सरकार को आधिकारिक तौर पर मान्यता दे दी है। यह कदम विश्व राजनीति में सनसनी बन गया है क्योंकि अभी तक किसी भी देश ने तालिबान सरकार को आधिकारिक तौर पर मान्यता नहीं दी है।
रूसी सरकार ने तालिबान द्वारा नियुक्त नए अफगान राजदूत गुल हसन हसन को स्वीकार करते हुए यह बयान जारी किया। रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “हमारा मानना है कि अफगानिस्तान के इस्लामिक अमीरात की सरकार को आधिकारिक मान्यता मिलने से दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में रचनात्मक द्विपक्षीय सहयोग बढ़ेगा।” दूसरी ओर, रूसी मंत्री आंद्रेई रुडेंको ने मॉस्को में एक विशेष कार्यक्रम में गुल हसन से मुलाकात की। उन्होंने उनसे क्रेडेंशियल प्राप्त किए। इसके साथ ही रूस तालिबान शासन को आधिकारिक तौर पर मान्यता देने वाला पहला देश बन गया।
अफ़गानिस्तान में रूसी दूतावास ने पिछली सरकार के झंडे की जगह तालिबान का झंडा लगा दिया है। रूसी समाचार एजेंसी TASS ने इस कदम की तस्वीरें जारी की हैं। काबुल में तालिबान के अधिकारियों ने रूसी कदम का स्वागत करते हुए कहा कि इससे दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होंगे।
तालिबान के अंतरिम विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तक्की ने कहा कि यह दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के इतिहास में एक बड़ी जीत है। उल्लेखनीय है कि अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद भी रूस ने काबुल में अपना दूतावास खुला रखा है और तालिबान नेतृत्व के साथ संपर्क बनाए रखा है। रूसी सरकार ने कहा कि उसे व्यापार और आर्थिक क्षेत्रों में सहयोग की “काफी संभावनाएं” दिखती हैं और वह ऊर्जा, परिवहन, कृषि और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर काम करने की योजना बना रही है।
हालांकि, अभी तक किसी भी देश ने आधिकारिक तौर पर तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है। कई देशों ने अंतरराष्ट्रीय मानदंडों, खासकर मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए तालिबान की आलोचना की है। हालांकि रूस तालिबान को मान्यता देता है, लेकिन दुनिया के देश तालिबान से वहां मानवाधिकारों के लिए प्रतिबद्ध होने का आग्रह कर रहे हैं।