
नई दिल्ली/17 जुलाई 2025
वर्ल्ड इमोजी डे के मौके पर जहां पूरी दुनिया डिजिटल इमोशन के इस प्रतीक को सेलिब्रेट कर रही है, वहीं कुछ देशों में इमोजी विवाद और प्रतिबंध का कारण भी बने हैं। इमोजी, जो आज की युवा पीढ़ी की सबसे तेज़ और भावनात्मक अभिव्यक्ति की भाषा बन चुकी है, अब कुछ सरकारों की नजरों में आपत्तिजनक बन चुकी है।
इमोजी का इतिहास 1999 में जापान के शिगेताका कुरीता ने रचा था, जब उन्होंने 176 इमोजी का पहला सेट तैयार किया। यह आइकनिक क्रिएशन बाद में न्यूयॉर्क के म्यूजियम ऑफ मॉडर्न आर्ट का हिस्सा बना। 2014 में इमोजीपीडिया के संस्थापक जेरेमी बर्ज ने हर साल 17 जुलाई को वर्ल्ड इमोजी डे के रूप में मनाने की शुरुआत की।
आज इमोजी केवल चैटिंग का माध्यम नहीं, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक प्रतीक भी बन चुका है। “Face with Tears of Joy” 😂 इमोजी आज भी सबसे ज़्यादा उपयोग की जाने वाली इमोजी है। वॉट्सऐप और इंस्टाग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर हर दिन 10 अरब से ज़्यादा इमोजी शेयर की जाती हैं।
हालांकि कुछ देशों ने इन पर सख्त रुख अपनाया है। सऊदी अरब ने LGBTQ+ से जुड़ी इमोजी जैसे 🌈, 👬, 👭 पर बैन लगाया है। यहां तक कि दिल वाली इमोजी ❤️ भेजने पर 3 से 5 साल की जेल हो सकती है। ईरान ने भी ‘लव’, ‘किस’ और ‘वेस्टर्न कल्चर’ दर्शाने वाली इमोजी पर प्रतिबंध लगा रखा है। रूस में LGBTQ+ से जुड़ी इमोजी पर बैन पहले से लागू है।
इमोजी का नियंत्रण एक गैर-लाभकारी संस्था ‘यूनिकोड कंसोर्टियम’ के पास है, जिसमें गूगल, ऐपल, आईबीएम जैसी कंपनियां शामिल हैं। यह संस्था तय करती है कि कौन सी नई इमोजी बनेगी और कैसी दिखेगी।
इस डिजिटल युग में जहां इमोजी एक नई भाषा बन गई है, वहीं यह कई देशों में सेंसरशिप और विचारधारा की लड़ाई का कारण भी बन रही है।