चेन्नई, 18 जुलाई 2025
देश में लम्बे समय से चले आ रहे एक विवाद में मद्रास हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा है कि कानून द्वारा शासित देश में जातिगत भेदभाव के लिए कोई जगह नहीं है। उच्च न्यायालय ने पुलिस को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया है कि उदयरपलायम तालुका स्थित पुथुकुडी अय्यनार मंदिर में अनुसूचित जाति के लोगों के प्रवेश में कोई बाधा न डाले।
न्यायालय ने कहा है कि सभी समुदायों के लोगों को मंदिर में देवता की पूजा करने का अवसर दिया जाना चाहिए। अन्यथा, बाधा डालने वाले किसी भी व्यक्ति के विरुद्ध उचित कार्रवाई की जानी चाहिए।
न्यायाधीश एन आनंद वेंकटेश ने स्पष्ट किया, “अगर किसी को जाति के नाम पर मंदिर में प्रवेश करने से रोका जाता है, तो उन्हें रोकने वालों ने अपराध किया है। उनके खिलाफ मामला दर्ज किया जा सकता है।” याचिकाकर्ता ने कहा कि इस मंदिर में कई दशकों से सभी समुदायों के लोग पूजा करते आ रहे हैं, लेकिन 2019 में एक समुदाय ने मंदिर परिसर में एक और मंदिर बनाने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि इस मंदिर के निर्माण के लिए सभी ने आर्थिक सहयोग दिया था, लेकिन अनुसूचित जाति समुदाय के लोगों को मंदिर में प्रवेश करने से रोका गया।
याचिकाकर्ता ने बताया कि इन घटनाओं के संबंध में पुलिस और राजस्व अधिकारियों से कई बार शिकायत करने के बावजूद, कोविड-19 के कारण जाँच में देरी हुई। इस दौरान, याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि मंदिर की टीम ने अनुसूचित जाति के लोगों द्वारा स्थापित विभिन्न मूर्तियों को नष्ट कर दिया।