
पटना, 21 जुलाई 2025
बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) की प्रक्रिया अपने अंतिम चरण में है। चुनाव आयोग के अनुसार, कुल 7.9 करोड़ पंजीकृत वोटर्स में से करीब 96 फीसदी ने अपने नामांकन फॉर्म जमा कर दिए हैं, जबकि 5.3 फीसदी वोटर्स अब तक अपने पते पर नहीं मिले हैं। इस सूची में करीब 11 हजार ऐसे वोटर्स भी शामिल हैं जिन्हें “पता नहीं लगने योग्य” यानी Not Traceable माना गया है।
चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये वोटर्स न तो बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) को उनके पते पर मिले, और न ही उनके पड़ोसियों को उनकी कोई जानकारी है। कई मामलों में तो जिन पतों पर उनका नाम दर्ज है, वहां कोई घर तक मौजूद नहीं मिला। आशंका जताई जा रही है कि इनमें से कई वोटर्स अवैध प्रवासी हो सकते हैं, जो बांग्लादेश या म्यांमार से आए रोहिंग्या हो सकते हैं, और किसी तरह बिहार की मतदाता सूची में शामिल हो गए हैं।
SIR प्रक्रिया में अब तक 95.92 प्रतिशत वोटर्स को कवर किया जा चुका है। शेष बचे 42 लाख वोटर्स में से लगभग 14.3 लाख संभावित रूप से मृत घोषित किए गए हैं, जबकि 19.7 लाख लोग स्थायी रूप से दूसरे स्थान पर चले गए हैं। करीब 7.5 लाख वोटर्स ऐसे हैं जिनके नाम एक से अधिक स्थानों पर दर्ज हैं। इन सबके अलावा 11 हजार वोटर्स का कोई सुराग नहीं है।
चुनाव आयोग के अधिकारियों के अनुसार, यह बेहद जरूरी है कि मृत या फर्जी वोटर्स के नाम समय रहते हटाए जाएं ताकि आगामी चुनावों में फर्जी वोटिंग को रोका जा सके। SIR प्रक्रिया के पूरे होने में अब सिर्फ 5 दिन शेष हैं और आयोग प्रयास कर रहा है कि बचे हुए लगभग 32 लाख वोटर्स को ड्राफ्ट लिस्ट में शामिल किया जाए। यह प्रक्रिया बिहार के आगामी विधानसभा चुनावों की निष्पक्षता और पारदर्शिता के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।