लखनऊ, 31 जुलाई 2025:
सावन की रिमझिम बारिश, रंग-बिरंगी साड़ियां और ताल ठोकतीं महिलाएं। महिला शक्ति का ये अद्भुत नजारा नाग पंचमी के दूसरे दिन लखनऊ के नवविकसित इलाके के अहिमामऊ गांव में देखने को मिला। यहां खास तौर पर महिलाओं का ‘हापा’ दंगल आयोजित हुआ, जिसमें दादी से लेकर बहुओं तक ने भाग लिया और साड़ी का पल्लू कसकर अखाड़े में उतरीं।
महिलाएं सज-संवर कर कुश्ती मैदान में पहुंचीं और धोबी पछाड़ जैसे पारंपरिक दांवों से विरोधियों को चित किया। दंगल पूरी तरह फ्रेंडली रहा लेकिन जोश में कोई कमी नहीं थी। कुश्ती के दौरान हंसी-मजाक और हौसला अफजाई ने माहौल को और भी खास बना दिया।
पुरुषों का प्रवेश वर्जित, महिलाओं का जमकर जलवा
दंगल के दौरान पुरुषों का प्रवेश पूरी तरह वर्जित रहा। मैदान के बाहर मेले में पापा, बच्चों को झूला झुला रहे थे, तो अंदर मम्मियां पहलवानी के रंग में रंगी थीं। महिलाएं मैदान में ताल ठोंक रही थीं, तो मेले में बच्चे खिलौनों पर नजरें टिकाए थे।
जीत पर साड़ी, हार पर सम्मान राशि
कुश्ती में विजेता महिला को आयोजिका मीना कुमारी की ओर से एक सुंदर साड़ी भेंट की गई, जबकि पराजित को भी 100 रुपये की सम्मान राशि देकर सराहा गया। मीना कुमारी ने बताया कि इस ‘हापा’ कुश्ती की परंपरा करीब 200 साल पुरानी है। अवध के नवाबी दौर में बेगम नूरजहां ने इसकी शुरुआत की थी, जिसे आज भी गांव की महिलाएं उत्साह के साथ निभा रही हैं। दंगल से पहले देवी पूजन और पारंपरिक कजरी गायन भी हुआ।