
वाशिंगटन, 7 अगस्त 2025
भारत और अमेरिका के बीच आर्थिक तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगा दिया है, जिससे दोनों देशों के रिश्तों में तल्खी साफ नजर आ रही है। ट्रंप ने यह फैसला कई दौर की बातचीत के बाद भी एकतरफा तरीके से लिया है।
राष्ट्रपति ट्रंप की नाराजगी की मुख्य वजह भारत की स्ट्रेटेजिक ऑटोनोमी यानी स्वतंत्र विदेश नीति है। अमेरिका चाहता है कि भारत उसकी विदेश नीति के अनुरूप चले, खासकर रूस और चीन जैसे देशों के मामले में। लेकिन भारत ने हमेशा अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दी है, चाहे वह रूस से तेल खरीदने का मामला हो या ब्रिक्स देशों के साथ संबंध मजबूत करने का।
रूस-यूक्रेन युद्ध के दौरान भारत ने रूस से तेल खरीद जारी रखी। फरवरी 2022 से पहले भारत जहां 68 हजार बैरल प्रतिदिन खरीदता था, वहीं यह आंकड़ा मई 2023 तक बढ़कर 21.5 लाख बैरल प्रतिदिन हो गया। ट्रंप इसे युद्धरत रूस को आर्थिक मदद के रूप में देख रहे हैं।
सिर्फ तेल ही नहीं, अमेरिका भारत पर यह भी दबाव बना रहा है कि वह ब्रिक्स जैसी संस्थाओं से दूरी बनाए और पश्चिमी देशों के साथ जुड़ जाए। लेकिन भारत इस गठबंधन में अपनी भूमिका को वैश्विक संतुलन के नजरिए से देखता है।
ट्रंप प्रशासन भारत को चीन के खिलाफ रणनीतिक साझेदार बनाना चाहता है, जैसे अमेरिका ने रूस के खिलाफ यूक्रेन का किया। लेकिन भारत खुद को किसी का मोहरा नहीं बनाना चाहता। ट्रंप की बार-बार की टैरिफ वृद्धि भारत पर दबाव बनाने की रणनीति मानी जा रही है।
भारत ने इस पर जवाब देते हुए कहा है कि वह हर निर्णय अपने राष्ट्रीय हितों के अनुसार लेता है और आगे भी स्वतंत्र विदेश नीति को ही अपनाएगा।
यह टकराव आने वाले दिनों में वैश्विक कूटनीति और व्यापार समीकरणों को प्रभावित कर सकता है।






