
नई दिल्ली, 18 अगस्त 2025
राजधानी दिल्ली में भारी बारिश के बाद होने वाले जलभराव और घंटों तक लगने वाले ट्रैफिक जाम को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है। मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने सुनवाई के दौरान राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) से सवाल किया कि जब सड़कें बदहाल हैं और सुविधाएं नहीं मिलतीं, तब लोगों से टोल क्यों वसूला जा रहा है?
सुप्रीम कोर्ट में एनएचएआई से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि दिल्ली देश की राजधानी है, लेकिन दो घंटे की बारिश में ही पूरा शहर अस्त-व्यस्त हो जाता है। उन्होंने टिप्पणी की कि “आप लोग जनता से टोल तो वसूलते हैं लेकिन बदले में उन्हें कोई सेवा नहीं देते।”
दरअसल, कोर्ट में उस फैसले पर सुनवाई चल रही थी जिसमें केरल हाईकोर्ट ने आदेश दिया था कि एडापल्ली-मन्नुथी मार्ग पर खराब रखरखाव और निर्माण कार्यों में देरी के कारण चार हफ्तों तक टोल वसूली रोक दी जाए। हाईकोर्ट ने माना था कि खराब सड़कों और जाम से आम लोगों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसी आदेश के खिलाफ एनएचएआई ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
मुख्य न्यायाधीश ने सुनवाई के दौरान यह भी स्पष्ट किया कि टोल टैक्स तभी वसूला जा सकता है जब सड़कें मानक के अनुसार हों और यात्रियों को उचित सेवाएं मिलें। उन्होंने कहा कि जब सड़क अधूरी है या उस पर आवाजाही खतरनाक हो, तो टोल वसूली न्यायसंगत नहीं है।
बारिश के बाद दिल्ली की स्थिति पर कोर्ट ने चिंता जताते हुए कहा कि जब राजधानी का यह हाल है तो तटीय राज्यों और मानसूनी इलाकों की स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। कोर्ट ने मामले पर विचार करने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया है।
इस कड़ी टिप्पणी के बाद यह सवाल फिर से उठ खड़ा हुआ है कि आखिर टोल से होने वाली वसूली जनता को राहत देने में क्यों नाकाम है और जिम्मेदार एजेंसियों की जवाबदेही कब तय होगी।