नई दिल्ली, 21 अगस्त 2025
अमित शाह ने लोकसभा में तीन विधेयक पेश किए हैं जिनके तहत अगर प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्रियों पर गंभीर आपराधिक आरोप लगे हों और वे एक महीने की जेल की सज़ा काट रहे हों, तो उन्हें पद से हटा दिया जाएगा। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इन विधेयकों पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने लोकसभा में काली कमीज़ पहनकर विरोध जताया। राहुल ने इन विधेयकों को पेश करने के लिए अमित शाह की निंदा की।
राहुल ने कहा कि एनडीए जिस तरह से इन विधेयकों को पेश करने और पारित करने की कोशिश कर रहा है, उससे लगता है कि वह हमारे देश को मध्ययुगीन युग में वापस ले जा रहा है। मालूम हो कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में प्रधानमंत्री के साथ-साथ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तारी के बाद 30 दिनों तक जेल में रहने पर पद से हटाने संबंधी तीन विधेयक पेश किए। अमित शाह ने विपक्ष के विरोध के बीच लोकसभा में ये विधेयक पेश किए।
इन विधेयकों पर प्रतिक्रिया देते हुए राहुल ने कहा कि हम मध्यकाल में वापस जा रहे हैं, जब कोई राजा अपनी इच्छा से किसी को भी पद से हटा सकता था। राहुल ने कहा कि अगर उन्हें किसी की शक्ल पसंद नहीं आती, तो वे ईडी से उसे गिरफ्तार करने के लिए कह सकते थे। राहुल ने इन विधेयकों पर प्रतिक्रिया देते हुए लोकसभा में विपक्ष के नेता की तीखी आलोचना की और कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए व्यक्ति को 30 दिनों के भीतर निष्कासित किया जा सकता है। लोकसभा में हंगामा हुआ और विपक्षी सदस्यों ने इन विधेयकों की प्रतियां फाड़कर अमित शाह की ओर फेंकी। विपक्षी सदस्यों ने इस फैसले का विरोध किया। उन्होंने नारेबाजी की। सदन की कार्यवाही कई बार स्थगित करनी पड़ी।
राहुल ने कहा कि संविधान पर हमला करने वालों और उसकी रक्षा करने वालों के बीच युद्ध होगा। विपक्षी दलों ने इन विधेयकों को “क्रूर” कानून करार दिया है। विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर सीएम और मंत्रियों को एकतरफा गिरफ्तार करने और विपक्ष शासित राज्यों को अस्थिर करने का आरोप लगाया है। मालूम हो कि दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तमिलनाडु के मंत्री वी. सेंथिल बालाजी जेल में होने के बावजूद अपने पदों पर बने रहे। हालांकि, केंद्र सरकार का तर्क है कि यह कोई बहाना नहीं है। विपक्षी दलों का तर्क है कि सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन ने विपक्षी दलों को अस्थिर करने और वहां की सरकारों को उखाड़ फेंकने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से इन विधेयकों को पेश किया है। तर्क चाहे किसी का भी हो, इन विधेयकों का लोकसभा में पेश होना एक देशव्यापी बहस का विषय है।