
लखीमपुर खीरी, 23 अगस्त 2025:
यूपी के लखीमपुर खीरी में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई, जिसने अधिकारियों तक को भावुक कर दिया। भीरा क्षेत्र के नौसर जोगी गांव निवासी विपिन गुप्ता शुक्रवार को थैले में अपने मृत नवजात शिशु का शव लेकर डीएम कार्यालय पहुंचा। आंखों से आंसू रुक नहीं रहे थे और जुबान पर सिर्फ एक ही बात… साहब, मेरे बच्चे को जिंदा कर दो।
दरअसल, विपिन की पत्नी रूबी को डिलीवरी के लिए पहले बिजुआ पीएचसी ले जाया गया था, जहां से हालत बिगड़ने पर जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया। परिजनों की मजबूरी का फायदा उठाते हुए स्वास्थ्य कार्यकर्ता ने महेवागंज के एक निजी अस्पताल गोलदार हॉस्पिटल में भर्ती कराने की सलाह दी। रात में विपिन ने पत्नी को वहां भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों ने 25 हजार रुपये जमा करने की मांग की। विपिन केवल 5 हजार रुपये ही दे पाया।
आरोप है कि इलाज के दौरान रूबी की तबीयत बिगड़ी और नर्स ने जबरन उसे अस्पताल से बाहर निकाल दिया। जब दूसरे निजी अस्पताल में जांच हुई तो यह दर्दनाक सच सामने आया कि गलत दवाइयों की वजह से गर्भस्थ शिशु की मौत हो चुकी थी। ऑपरेशन के बाद मृत शिशु को निकाला गया।
अपने मासूम को खोकर टूटा पिता विपिन उसके शव को थैले में रखकर सीधे डीएम दफ्तर जा पहुंचा। अधिकारियों की बैठक के बीच जब उसने थैला खोला तो अंदर मृत नवजात को देखकर वहां मौजूद हर आंख नम हो गई।
विपिन की व्यथा सुनकर सीएमओ तुरंत मौके पर पहुंचे और गोलदार हॉस्पिटल को सील कर दिया गया। वहीं, जिला प्रशासन ने रूबी का इलाज अपने खर्चे पर कराने की जिम्मेदारी ली। डीएम दुर्गा शक्ति नागपाल ने भरोसा दिलाया कि पीड़ित परिवार अकेला नहीं है, पूरा प्रशासन उनके साथ खड़ा है। सात साल बाद घर में खुशियां आने वाली थीं, लेकिन लापरवाही और लालच ने उन्हें मातम में बदल दिया।