अंशुल मौर्य
वाराणसी, 7 सितंबर 2025:
यूपी की शिवनगरी काशी में रामनगर की विश्वप्रसिद्ध रामलीला का शुभारंभ हो गया है।ऐतिहासिक आयोजन की शुरुआत काशीराज परिवार की परंपरागत भव्यता के साथ हुई, जब अनंत नारायण सिंह अपनी शाही बग्घी में सवार होकर किले से निकले। 36वीं वाहिनी पीएसी के जवानों ने काशीराज को गार्ड ऑफ ऑनर देकर आयोजन को और गरिमामय बना दिया।
रामलीला के मंच पर कुशल कलाकारों (पात्रों) ने त्रेतायुग की कथाओं को जीवंत कर दिया। कंधों पर सवार होकर मंच तक पहुंचे कलाकारों ने जब रामचरितमानस की चौपाइयों के साथ संवाद बोले, तो पूरा वातावरण भक्ति और उत्साह से गूंज उठा। पहले दिन हजारों लीला प्रेमी उमड़े, और दोपहर से ही आयोजन स्थल की ओर उनका हुजूम खिंचता चला गया। नारों और जयकारों से आकाश गूंज उठा, मानो काशी में त्रेतायुग फिर से साकार हो उठा हो।
परंपराओं के क्रम में रामलीला का पहला दृश्य रावण के जन्म से शुरू हुआ। धधकती अग्नि की लपटों के बीच रावण का यज्ञ दृश्य दर्शकों के आकर्षण का केंद्र बना। भगवान शिव की नगरी काशी के उपनगर रामनगर में अनंत चतुर्दशी की शाम को पूजन के बाद रावण जन्म की कथा ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। इसके साथ ही क्षीर सागर की भव्य झांकी सजी, और माह भर चलने वाली इस विश्वप्रसिद्ध रामलीला का श्रीगणेश हो गया।
काशी की गलियों में अब एक महीने तक “हर हर महादेव” और “जय श्री राम” के नारे गूंजेंगे। यह रामलीला न केवल एक धार्मिक आयोजन है, बल्कि काशी की सांस्कृतिक धरोहर और त्रेतायुग की गाथाओं का जीवंत चित्रण है, जो हर साल लाखों श्रद्धालुओं को एकजुट करता है।