काठमांडू, 11 सितंबर 2025:
नेपाल अपने इतिहास के सबसे बड़े राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। जनरेशन-जी आंदोलन के तहत हुए विरोध-प्रदर्शनों और हिंसा ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की सरकार को गिरा दिया। हालात काबू से बाहर होने पर सेना को सड़कों पर उतरना पड़ा और राष्ट्रव्यापी प्रदर्शनों पर रोक के साथ कर्फ्यू लागू कर दिया गया।
आंदोलनकारी अब अंतरिम सरकार बनाने की तैयारी में जुटे हैं। इस पद के लिए अभी तक पूर्व मुख्य न्यायाधीश सुशीला कार्की का नाम सबसे आगे चल रहा था, लेकिन गुरुवार को नेपाल विद्युत प्राधिकरण के पूर्व प्रमुख कुलमान घिसिंग का नाम भी इस दौड़ में शामिल हो गया।
इस बीच काठमांडू घाटी के तीन जिलों काठमांडू, ललितपुर और भक्तपुर में सेना ने कर्फ्यू में आंशिक ढील दी है। सुबह 6 बजे से कर्फ्यू हटाया गया, हालांकि 10 बजे से शाम 5 बजे तक प्रतिबंध जारी रहेगा। इसके बाद शाम 5 से 7 बजे तक ढील और रात 7 बजे से सुबह 6 बजे तक रात्रि कर्फ्यू लागू रहेगा। ढील मिलते ही लोग आवश्यक वस्तुओं की खरीदारी के लिए बाजारों में पहुंचे, हालांकि सड़कों पर वाहन कम नजर आए।
नेपाल के स्वास्थ्य एवं जनसंख्या मंत्रालय के अनुसार, आंदोलन और हिंसा में अब तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है और 1,368 लोग घायल हुए हैं। इनमें से 321 नए मरीज अस्पताल में भर्ती हुए, जबकि 949 को उपचार के बाद छुट्टी मिल चुकी है।
हिंसा और आगजनी की घटनाओं के बीच पूर्व प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ की बेटी गंगा दहल के ललितपुर स्थित घर में एक जला हुआ शव बरामद हुआ है। पुलिस के अनुसार शव पुरुष का है, लेकिन उसकी पहचान नहीं हो पाई है।
मालूम हो कि स्थिति बिगड़ने के बाद मंगलवार रात सेना ने राजधानी सहित प्रमुख इलाकों की सुरक्षा अपने हाथ में ले ली थी। संसद भवन, सरकारी परिसरों, नेताओं के घरों और धार्मिक स्थलों जैसे पशुपतिनाथ मंदिर पर भी सैनिकों की तैनाती की गई है। फिलहाल नेपाल धीरे-धीरे सामान्य स्थिति की ओर बढ़ रहा है, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता और नए नेतृत्व को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।