Lucknow City

लखनऊ : नाट्य महोत्सव में खुशमिजाजी व अपराध बोध के मौन भावों से सम्मोहित कर गया ‘रंग-बदरंग’

कैसरबाग में तीन दिवसीय आयोजन का समापन, मुंबई से आए थियेटर ग्रुप ने मूक अभिनय से जीता दिल

लखनऊ, 5 अक्टूबर 2025 :

यूपी की राजधानी लखनऊ स्थित कैसरबाग रेजीडेंसी के सामने गांधी भवन के प्रेक्षागृह में गांधी जयंती नाट्य महोत्सव 2025 के तीसरे दिन ‘रंग-बदरंग” की प्रस्तुति दी गई। बिना एक शब्द बोले भावों से भरे मूक अभिनय वाले नाटक में चार्ली का किरदार खुशमिजाजी व अपराधबोध से घिरे होने तक का सफर तय करता है। इस सफर में उसके साथी कलाकार भी जुड़ते हैं तो अभिनय की मौन विधा संवाद की शर्त से परे होती जाती है।

बता दें कि अखिल भारतीय सांस्कृतिक संस्थान द्वारा 2 अक्टूबर से शुरू किये गए इस तीन दिवसीय आयोजन में पहले दिन हास्य-व्यंग्य नाटक “बेचारा पति” की प्रस्तुति दी गई। इसके बाद दूसरे दिन ‘कैकेई’ नाटक ने अयोध्या की रानी के अनसुने पक्ष से परदा हटाया। संवादों से भरे इन दोनों नाटकों के बाद आखिरी दिन मुंबई से आए एबीएसएस थियेटर ग्रुप के कलाकारों ने मूक (माइम) अभिनय से भरे नाटक ‘रंग-बदरंग’ का मंचन किया। 45 वर्षों से रंगमंच की दुनिया मे सक्रिय प्रख्यात रंगकर्मी राजेन्द्र तिवारी ने एक बार फिर अपने लेखन निर्देशन का प्रभाव छोड़ा। राजेन्द्र तिवारी राजधानी में 35 वर्षों से इस महोत्सव का आयोजन कर रहे हैं।

‘रंग बदरंग’ नाटक में चार्ली एक खुशमिजाज और मस्तीभरा युवक है। अपने जन्मदिन पर उसके दोस्त और उसका एक खास प्रशंसक घर में बर्थडे सेलिब्रेशन कर रहे हैं। सब मिलकर मस्ती करते हैं, चार्ली को तंग करते हैं, और मज़ाक उड़ाते हैं। पास में रहने वाला मकान मालिक इस लगातार हो रहे शोर-शराबे से परेशान होकर कई बार चेतावनी देता है, लेकिन कोई ध्यान नहीं देता। मस्ती के बीच चार्ली प्रैंक करने लगता है। एक प्रैंक ऐसा होता है जो मज़ाक से हकीकत बन जाता है, एक लड़की की मौत हो जाती है। सभी हैरान हैं, पर स्थिति को संभालने के लिए कोई “नकली पुलिस” और “नकली वकील” को बुला लेता है ताकि माहौल हल्का हो जाए। मंच पर हंसी-ठिठोली का नकली मुकदमा शुरू होता है, लेकिन तभी असली पुलिस आ जाती है। जाँच के बाद पता चलता है कि चार्ली का “प्रैंक” ही असली अपराध बन गया। गलती से चार्ली का प्रशंसक दोषी मान लिया जाता है, और पुलिस उसे गिरफ्तार कर ले जाती है। मंच पर चार्ली अकेला रह जाता है टूटा हुआ, अपराधबोध से घिरा हुआ। हंसी के रंग अब बदरंग हो चुके होते हैं।

अश्वनी शुक्ला के संचालन व संयोजन में कलाकारों के रूप में साकेत राय, अक्षयरिका दास, ध्रुव खानचन्दानी, कशिश रीना सिंह, अभिनय पांडेय, शिवम देवकते, देविका पटेल, प्रदीप श्रीवास्तव, मोनिका भारती, कुशाग्र सक्सेना, शिवदान नायक, प्रतीक्षा निर्मल, प्रतीक्षा गुप्ता, आदर्श पटेल, शाहीन, धैर्य खानचंदानी, त्रिलोक सिंह, दीपक यादव अनिकेत गव्हाणे, समीर गुप्ता, शैरन मथायस ने अभिनय कला से दर्शकों का दिल जीता। कार्यक्रम प्रबंधन में राकेश वर्मा, अंजना तिवारी, अमित तिवारी, ललित पांडे, सचिन सिंह, राकेश तिवारी एवं गणेश रावत ने योगदान दिया।

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