Lucknow City

11 दिन डिजिटल गिरफ्त में रही बुजुर्ग महिला, ऐसे “अफसरों” ने खाते से उड़ाए 34 लाख रुपये

लखनऊ, 14 अक्टूबर 2025:

पुलिस की तमाम कोशिशों और कार्रवाई के बावजूद साइबर जालसाज बाज नहीं आ रहे हैं। वे लोगों को तरह-तरह से डरा और धमकाकर लाखों-करोड़ों रुपये ऐंठ रहे हैं। ताजा मामला यूपी की राजधानी लखनऊ का सामने आया है जिसमें साइबर जालसाजों ने ठगी का ऐसा जाल बिछाया कि 75 वर्षीय बुजुर्ग महिला 11 दिन तक ‘डिजिटल अरेस्ट’ में कैद रहीं।

शातिर जालसाजों ने खुद को ईडी और एटीएस अधिकारी बताकर उन्हें फर्जी आतंकवाद मामले में फंसाने की धमकी दी और जुर्माने के नाम पर तीन अलग-अलग खातों में कुल ₹34 लाख जमा करा लिए।

व्हाट्सएप कॉल से शुरू हुआ डर का खेल

महानगर के सेक्टर-सी में रहने वाली आशा सिंह को 28 सितंबर को व्हाट्सएप कॉल आया। कॉल करने वाले ने अपना परिचय एटीएस और ईडी अधिकारी के रूप में दिया। कहा कि उनके बैंक खाते का इस्तेमाल आतंकवादी संगठनों और देश विरोधी गतिविधियों में हुआ है। इसके बाद फर्जी अधिकारी ने उन्हें डराने-धमकाने का सिलसिला शुरू किया।

फर्जी वारंट और जब्ती आदेश भेजे

विश्वास जमाने के लिए ठगों ने आशा सिंह के नाम का एक फर्जी वारंट और जब्ती आदेश भी व्हाट्सएप पर भेजा। उन्हें बताया गया कि अगर उन्होंने “जुर्माना” भर दिया तो मामला खत्म कर दिया जाएगा। इसके बाद उन्हें परिवार और परिचितों से बात करने से मना कर दिया गया, मानो वे किसी असली एजेंसी की गिरफ्त में हों।

तीन खातों में भेजे 34 लाख रुपये

धमकी के असर में आकर आशा सिंह ने 29 सितंबर को बैंक से ₹10 लाख अभिषेक शर्मा नामक व्यक्ति के खाते में ट्रांसफर किए। 3 अक्टूबर को ₹14.50 लाख प्रीति एम के खाते में और 8 अक्टूबर को ₹10.10 लाख गुगलावथ वूयेश कुमार के खाते में जमा करा दिए।

जब मोबाइल बंद आया, तब टूटा भ्रम

रकम ट्रांसफर होने के बाद जब आशा सिंह ने दोबारा संपर्क करने की कोशिश की तो सभी नंबर बंद आए। तब जाकर उन्होंने परिजनों को बताया और मामला साइबर क्राइम थाना पहुंचा। साइबर क्राइम इंस्पेक्टर बृजेश यादव के मुताबिक सर्विलांस की मदद से ठगों की लोकेशन और पहचान की जा रही है। टीम छानबीन कर रही है।

सावधान रहें… ऐसे फंसाते हैं जालसाज

कोई भी सरकारी एजेंसी फोन या व्हाट्सएप पर आपसे पैसे नहीं मांगती। “डिजिटल अरेस्ट” जैसी कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं होती। यदि कोई खुद को अधिकारी बताकर धमकाए, तो तुरंत 1930 (राष्ट्रीय साइबर हेल्पलाइन नंबर) पर शिकायत करें या नजदीकी साइबर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराएं। इस तरह के मामलों में घबराहट और डर ही जालसाजों का सबसे बड़ा हथियार होता है। समझदारी और तुरंत कार्रवाई ही सुरक्षा की सबसे मजबूत ढाल है।

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