लखनऊ, 24 अक्टूबर 2025:
यूपी की राजधानी लखनऊ के नगर निगम मुख्यालय में शुक्रवार को हुई कार्यकारिणी बैठक महापौर और नगर आयुक्त के बीच अधिकारों को लेकर खींचतान के चलते बिना किसी नतीजे के खत्म हो गई। बैठक की शुरुआत ही पुराने फैसलों पर अमल न होने के आरोपों से हुई, जिससे माहौल तनावपूर्ण बन गया।
बैठक के दौरान महापौर और अफसर दो खेमों में बंटे नजर आए। महापौर सुषमा खर्कवाल ने आरोप लगाया कि पिछली कार्यकारिणी में पारित प्रस्तावों पर प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की। ये अफसरों की लापरवाही और मनमानी दर्शाता है। उन्होंने कहा कि जब पुराने प्रस्तावों पर अमल ही नहीं हुआ, तो नए प्रस्तावों पर चर्चा का कोई औचित्य नहीं।
विवाद बढ़ने पर बैठक स्थगित कर दी गई। अब 30 अक्तूबर को नई बैठक बुलाई जाएगी, जिसमें अधिकारी पिछली कार्यकारिणी में पारित प्रस्तावों के अनुपालन की रिपोर्ट पेश करेंगे।
बैठक के बाद भी टकराव की झलक दिखी। महापौर की प्रेस वार्ता में पहली बार कोई अधिकारी मौजूद नहीं रहा। महापौर ने जोनल अधिकारियों के तबादले और अपर नगर आयुक्तों के बीच कार्यविभाजन का मुद्दा उठाते हुए कहा कि उनके निर्देशों का पालन नहीं हुआ। जवाब में नगर आयुक्त गौरव कुमार ने कहा कि अधिनियम के प्रावधानों तहत उन्हें यह अधिकार है कि वे किस अधिकारी से क्या कार्य लें।
पार्षदों ने चेतावनी दी कि यदि पारित फैसलों पर अमल नहीं होता, तो कार्यकारिणी का अस्तित्व निरर्थक है।महापौर ने यह भी घोषणा की कि जोनल प्रभारी व्यवस्था समाप्त कर दी गई है। अब जोनल स्तर पर काम की जिम्मेदारी सीधे जोनल अधिकारियों की होगी। हालांकि नगर आयुक्त ने कहा कि ऐसा कोई आदेश अब तक जारी नहीं हुआ है।
महापौर ने आगे कहा कि जलकल विभाग के महाप्रबंधक और नगर निगम के मुख्य अभियंता अब अपर नगर आयुक्तों की बजाय सीधे नगर आयुक्त को रिपोर्ट करेंगे, जबकि वर्तमान में वे अपर नगर आयुक्तों को रिपोर्ट करते हैं।






