लखनऊ, 31 अक्टूबर 2025:
राजधानी लखनऊ में शुक्रवार को भारतीय किसान यूनियन (अवध गुट) के बैनर तले किसानों ने कमिश्नर ऑफिस का घेराव किया। प्रदर्शन के दौरान किसानों ने मुख्य गेट बंद कर मंडलायुक्त की गाड़ी रोक दी, जिससे अफसर कई घंटे तक दफ्तर के अंदर ही फंसे रहे। महिला किसानों ने भी लाठी पटककर जमीन का वाजिब मुआवजा और दुकानों के लिए चबूतरे की मांग की।
प्रदर्शनकारी किसानों ने नारेबाजी करते हुए कहा कि उनकी जमीनें एक जैसी हैं, फिर मुआवजा दर अलग-अलग क्यों दिए जा रहे हैं। कई महिलाओं ने भावुक होकर कहा कि “खेत छिन गए, अब घरों में जूठन धोने को मजबूर हैं। सरकार ने हमें भीख मांगने की हालत में पहुंचा दिया है।”
भारतीय किसान यूनियन (अवध गुट) के संगठन महामंत्री राम वर्मा ने कहा कि “हम 40 वर्षों से अपने हक के लिए लड़ रहे हैं, मगर आज तक सुनवाई नहीं हुई। LDA ने कानपुर रोड पर 1980 से 1985 के बीच 23 गांवों की जमीन अधिग्रहित की थी। तब किसानों से चबूतरा आवंटन और उचित मुआवजा देने का वादा किया गया था, लेकिन अब तक किसी को चबूतरा नहीं मिला।”
राम वर्मा ने आरोप लगाया कि “लखनऊ विकास प्राधिकरण ने करीब 2500 किसानों को लगातार गुमराह किया है। किसान अपनी आजीविका चलाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। न चबूतरा मिला, न बराबरी का मुआवजा।” प्रदर्शन में मौजूद किसानों ने बताया कि मुआवजा दरों में भेदभाव किया गया है कुछ को 1.70 से 3.50 रुपये प्रति वर्ग फुट के हिसाब से भुगतान किया गया, जबकि एक जज की जमीन के लिए 14 रुपये प्रति वर्ग फुट का मुआवजा दिया गया। किसानों ने इसे खुला अन्याय बताते हुए कहा कि जब जमीन एक है तो रेट दो क्यों?
प्रदर्शन के दौरान जब कमिश्नर की गाड़ी ऑफिस के अंदर से बाहर निकलने लगी तो किसानों ने उसे गेट पर रोक लिया। करीब 15 मिनट तक गाड़ी वहीं खड़ी रही। पुलिस और प्रशासनिक अफसरों ने काफी समझाने की कोशिश की, लेकिन किसान नहीं माने। आखिरकार घंटों बाद गाड़ी को दूसरे रास्ते से बाहर निकाला गया। किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो वे बड़े आंदोलन की तैयारी करेंगे और लखनऊ विकास प्राधिकरण के खिलाफ प्रदेशव्यापी प्रदर्शन करेंगे।






