देवरिया, 15 नवंबर 2025:
यूपी के देवरिया जिले के बनकटा क्षेत्र में कथित पशु तस्कर के साथ हुए विवादित एनकाउंटर पर अदालत ने पुलिस की पूरी कहानी को कठघरे में खड़ा कर दिया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने जिस तरह इस प्रकरण का संज्ञान लेकर कड़े निर्देश दिए उससे जिले के पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है।
कोर्ट ने पुलिस द्वारा लगाए गए लूट, पुलिस पर फायरिंग, हत्या के प्रयास और आर्म्स एक्ट जैसे सभी गंभीर आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पुलिस ने घटना को गलत रूप दिया। अपने बचाव में गंभीर धाराएं जोड़कर मामला पेश किया।
मालूम हो कि 12 नवंबर को बनकटा पुलिस ने दिलीप सोनकर निवासी परसिया करकटही को पशु तस्करी के आरोप में हिरासत में लिया। पुलिस का कहना था कि आरोपी ने हवालात में तबीयत खराब होने की बात कही। उसे इलाज के लिए ले जाया जा रहा था। इस दौरान उसने शौच जाने की बात कही। इसी बाच वह दारोगा सुशांत पाठक की पिस्टल छीनकर भाग निकला और कुछ दूरी पर जाकर पुलिस टीम पर फायरिंग भी कर दी। उसके जवाब में पुलिस ने गोली चलाई। इससे आरोपी के पैर में चोट लगी। इसी कहानी के आधार पर पुलिस ने उस पर कई गंभीर धाराएं लगाकर अदालत में पेश किया।
सुनवाई के दौरान अदालत ने पुलिस की कार्रवाई पर तीखी आपत्ति जताई। कोर्ट ने कहा कि घटना का पुलिस विवरण संदिग्ध है। पुलिस ने जानबूझकर गलत धाराएं जोड़ीं और पूरा घटनाक्रम नियमानुकूल प्रतीत नहीं होता।
अदालत ने एसपी देवरिया को निर्देश दिया कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषी पाए जाने पर कार्रवाई की जाए। विशेष रूप से सब इंस्पेक्टर सुशांत पाठक, हेड कॉन्स्टेबल राजेश कुमार और कॉन्स्टेबल सज्जन चौहान के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया गया है।
कोर्ट के आदेश के बाद देवरिया पुलिस में लगातार चर्चाएं तेज हैं। यह मामला अब सिर्फ एक एनकाउंटर की कहानी नहीं, बल्कि पुलिस की विश्वसनीयता और फर्जी मुठभेड़ों पर बड़ा सवाल बन गया है।






