लखनऊ, 17 नवंबर 2025 :
आखिर भारत में ही क्यों बढ़ रही है ये बीमारी? सबसे बड़ा सवाल यह है कि इस बीमारी के मरीज हमारे देश में ही सबसे ज्यादा क्यों हैं? आँकड़े चौंकाने वाले हैं और वजहें उससे भी ज्यादा हैरान करने वाली। जब डॉक्टरों से लेकर शोधकर्ताओं तक सब एक ही बात कहने लगे कि भारत इस बीमारी का सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है, तो अब सवाल उठता है… आखिर ऐसा हो क्यों रहा है?
देश में बड़ी संख्या में लोग मिर्गी यानी दिमाग में अचानक होने वाली विद्युत गड़बड़ी की समस्या से जूझ रहे हैं। इसकी वजह सिर की चोट, स्ट्रोक, ट्यूमर, जन्म के समय दिमाग को नुकसान या परिवार में यह बीमारी होना भी हो सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि इसे पूरी तरह रोका तो नहीं जा सकता, लेकिन समय पर पहचान और सही इलाज बड़ी मदद करता है।
हर पांचवां मिर्गी मरीज भारतीय
दुनिया में करीब पांच करोड़ लोग मिर्गी से प्रभावित हैं और इनमें से लगभग एक करोड़ से ज्यादा मरीज सिर्फ भारत में हैं। यही वजह है कि देश में हर साल 17 नवंबर को राष्ट्रीय मिर्गी दिवस मनाया जाता है ताकि लोगों को इस बीमारी के कारण, लक्षण और इलाज के बारे में जागरूक किया जा सके।
भारत में मरीज ज्यादा क्यों?
भारत की बड़ी जनसंख्या इसका एक बड़ा कारण है। इसके अलावा कई ग्रामीण और गरीब इलाकों में मिर्गी का समय पर इलाज नहीं मिल पाता। मिर्गी अपने आप में कोई एक बीमारी नहीं होती। यह दिमाग में किसी भी तरह की गड़बड़ी की वजह से शुरू हो सकती है। जैसे
* बच्चे के जन्म के समय दिमाग को नुकसान
* दिमाग में ट्यूमर
* स्ट्रोक
* सिर में गंभीर चोट
* नींद की कमी
* बहुत ज्यादा शराब
* अनुवांशिक कारण
कई मामलों में डॉक्टर भी इसकी वजह पता नहीं कर पाते।
कैसे घटाया जा सकता है इसका जोखिम?
विशेषज्ञ बताते हैं कि मिर्गी को पूरी तरह रोकना संभव नहीं है, लेकिन कुछ सावधानियां इसके खतरे को काफी कम कर सकती हैं।
* सुरक्षित प्रसव ताकि बच्चे का दिमाग सुरक्षित रहे
* बाइक चलाते समय हेलमेट पहनना
* मैनिनजाइटिस और जापानी इंसेफेलाइटिस के टीके
* पर्याप्त नींद
* नशे से दूर रहना
* तनाव कम करना
ये साधारण कदम भविष्य में बड़ी परेशानी से बचा सकते हैं।
इलाज सबसे बड़ा हथियार
अगर किसी को मिर्गी हो चुकी है, तो सबसे जरूरी है कि वह इलाज में कोई लापरवाही न करे।
* न्यूरोलॉजिस्ट द्वारा दी गई दवा समय पर लेना
* दवा अचानक बंद न करना
* संतुलित लाइफस्टाइल
* योग और मेडिटेशन
कुछ गंभीर मरीजों में सर्जरी या वेगस नर्व स्टिम्यूलेशन जैसी आधुनिक तकनीक भी फायदा करती है।
क्या मिर्गी केवल मेडिकल लड़ाई है?
भारत में आज भी मिर्गी को लेकर कई तरह की गलतफहमियां हैं। कई जगह लोग इसे भूत प्रेत या किसी अशुभ कारण से जोड़ देते हैं। इससे मरीज इलाज के बजाय टोने टोटकों में उलझ जाते हैं और बीमारी बढ़ जाती है। हर साल पांच लाख से ज्यादा नए मामले सामने आते हैं और कई मरीजों को नौकरी, शादी और पढ़ाई में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।
जागरूकता ही सही रास्ता
इंडियन इपीलैप्सी एसोसिएशन लगातार लोगों को समझा रही है कि मिर्गी पूरी तरह नियंत्रित की जा सकने वाली बीमारी है और मरीज सामान्य जिंदगी जी सकते हैं। जरूरत सिर्फ समय पर इलाज, सही जानकारी और परिवार व समाज के सहयोग की है।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी इंटरनेट पर उपलब्ध सूचनाओं पर आधारित है। thehohalla.com इसकी पुष्टि पर कोई दावा नहीं करता है।






