लखनऊ, 17 नवंबर 2025 :
अंबानी परिवार का नाम सामने आए और खबर हलचल न मचाए… ऐसा भला कैसे हो सकता है। इस बार सुर्खियों में हैं अनिल अंबानी, जो विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) मामले में एक नहीं, बल्कि दो बार ईडी के सामने पेश होने से पीछे हट गए हैं। सवाल ये है कि जब जांच एजेंसी बार-बार बुला रही है, तो आखिर अनिल अंबानी किस बात से बचना चाह रहे हैं। क्या वजह है कि वो सिर्फ वर्चुअल बयान देने की बात कर रहे हैं और ईडी उन्हें सामने बुलाने पर अड़ी है।
इस कहानी में प्रोजेक्ट, हवाला, करोड़ों के ट्रांजैक्शन और 15 साल पुरानी फाइलें शामिल हैं… और यही इस केस को और ज्यादा पेचीदा बना देता है। अब मामला और तगड़ा हो गया है, क्योंकि यह साफ नहीं है कि ईडी तीसरा समन भेजेगी या नहीं।
पहले समन में भी नहीं पहुंचे अंबानी
14 नवंबर को बुलाए जाने पर भी अनिल अंबानी सामने नहीं आए थे। उन्होंने ईडी को बताया था कि वह वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या रिकॉर्डेड बयान के जरिए पूछताछ के लिए तैयार हैं। लेकिन एजेंसी ने यह ऑफर मानने से इनकार कर दिया और नई तारीख दे दी। सोमवार को भी अंबानी पेश नहीं हुए। उनके प्रवक्ता का कहना है कि वह ईडी द्वारा तय किसी भी समय पर वर्चुअल तरीके से बयान देने को तैयार हैं।
किस मामले में हो रही है पूछताछ?
यह मामला फेमा से जुड़ा है, जो एक सिविल कानून है। यानी यहां गिरफ्तारी या क्रिमिनल कार्रवाई की संभावना कम होती है। लेकिन यह जांच एक ऐसे प्रोजेक्ट से जुड़ी है जिस पर करोड़ों रुपये के हेरफेर का आरोप लगा है। सूत्रों के मुताबिक ईडी ने अंबानी को जयपुर रींगस हाईवे प्रोजेक्ट से जुड़े लेनदेन पर बयान दर्ज कराने के लिए बुलाया था।
ईडी की जांच में क्या सामने आया?
एजेंसी ने हाल ही में मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत अंबानी और उनकी कंपनियों की लगभग 7500 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की थी। इसी जांच के दौरान रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर के ठिकानों पर छापेमारी हुई और वहां से कई अहम दस्तावेज मिले। ईडी का दावा है कि Jaipur–Reengus प्रोजेक्ट से करीब 40 करोड़ रुपये की हेराफेरी हुई। यह पैसा सूरत की फर्जी कंपनियों के जरिए दुबई भेजा गया। आगे की जांच में 600 करोड़ रुपये से ज्यादा का एक बड़ा इंटरनेशनल हवाला नेटवर्क सामने आया। सूत्रों का कहना है कि एजेंसी कई हवाला डीलरों और संबंधित लोगों के बयान ले चुकी है, जिनमें कुछ महत्वपूर्ण जानकारी मिली। इसके बाद ही अंबानी को बुलाया गया।
क्या है ये 15 साल पुराना मामला?
यह केस 2010 का है। रिलायंस इंफ्रा को जेआर टोल रोड यानी जयपुर–रींगस हाईवे का ठेका मिला था। यह एक घरेलू प्रोजेक्ट था जिसमें विदेशी मुद्रा का कोई हिस्सा नहीं था। सड़क पूरी बन चुकी है और 2021 से इसे NHAI संभाल रहा है। अंबानी खुद इस कंपनी के बोर्ड में नहीं हैं। वह 2007 से 2022 तक केवल गैर-कार्यकारी निदेशक थे। कंपनी का रोजमर्रा का प्रबंधन वह नहीं देखते थे।
धन शोधन केस में पहले भी हो चुकी है पूछताछ?
अंबानी से ईडी एक अन्य मामले में 17 हजार करोड़ रुपये की बैंक धोखाधड़ी से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में पूछताछ कर चुकी है। अब फेमा का यह केस उनके लिए नई मुश्किल पैदा कर रहा है, क्योंकि एजेंसी बार-बार पेशी पर जोर दे रही है और वह व्यक्तिगत रूप से आने से बच रहे हैं।






