लखनऊ, 25 नवंबर 2025 :
जब किसी शहर की मिट्टी में इतिहास की खुशबू बस जाए और हर ईंट में ज्ञान की रोशनी चमकने लगे, तो वहाँ सिर्फ स्टूडेंट नहीं, बल्कि भविष्य लिखा जाता है। लखनऊ विश्वविद्यालय ऐसा ही एक उजला दरवाज़ा है, जहाँ से निकलकर कभी एक छात्र देश का राष्ट्रपति बना, कोई मुख्यमंत्री, कोई महान वैज्ञानिक, कोई जस्टिस, तो कोई ऐसा शायर… जिसकी कलम आज भी दिलों में धड़कती है।
105 साल का यह सफर सिर्फ इमारतों का नहीं-यह सपनों, संघर्षों, और उन अनगिनत कदमों का सफर है, जो इस कैंपस में चलते-चलते दुनिया बदलने निकल पड़े। आज लखनऊ विश्वविद्यालय का 105वां स्थापना दिवस है। इस मौके पर आइए जानते हैं, इसका पूरा सफरनामा…
राष्ट्रपति से लेकर शायर तक: LU की बढ़ाई शान
लखनऊ विश्वविद्यालय का असर इतना गहरा है कि यहाँ पढ़े कई नाम आज भी देश के इतिहास का हिस्सा हैं। देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. शंकर दयाल शर्मा, उत्तराखंड के वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत यहाँ पढ़ चुके हैं। इसके अलावा यहाँ से दर्जनों साइंटिस्ट, जस्टिस, शायर, प्रोफेसर और एडमिनिस्ट्रेटर निकले, जिनकी रोशनी आज भी अपने-अपने क्षेत्र में चमक रही है। अंतरिक्ष अभियानों तक इस कैंपस की प्रतिभा पहुंच चुकी है।
कैसे एक स्कूल बन गया विश्वविद्यालय?
आज जो LU एक भव्य विश्वविद्यालय बन चुका है, उसकी शुरुआत एक छोटे से कदम से हुई थी। कहानी शुरू होती है 1864 में, जब कैनिंग कॉलेज अस्तित्व में आया। टैगोर लाइब्रेरी के रिकॉर्ड बताते हैं कि 1862 में अवध के ताल्लुकेदारों ने एक बैठक में निर्णय लिया कि वे शिक्षा के लिए एक बड़ा संस्थान बनाएंगे। स्कूल सबसे पहले हुसैनाबाद कोठी में शुरू हुआ… फिर अमीनाबाद पहुँचा… फिर लाल बारादरी, परीखाना कैसरबाग होते हुए आखिरकार बादशाहबाग कैंपस में ठहरा। इसके बाद 1892 में काल्विन कॉलेज बना और 25 नवंबर 1920 को कैनिंग कॉलेज बदलकर लखनऊ विश्वविद्यालय बन गया। आज यह देश के 10 सबसे पुराने और प्रतिष्ठित उच्च शिक्षा संस्थानों में गिना जाता है।

LU के महान गुरुओं ने बनाई वैश्विक पहचान
LU को बड़ा बनाने में सबसे बड़ी भूमिका उसके महान शिक्षकों की रही-
प्रो. राधाकमल मुखर्जी
प्रो. डीपी मुखर्जी
प्रो. बीरबल साहनी
प्रो. वली मोहम्मद
प्रो. काली प्रसाद
और सबसे खास—भारत का पहला Political Science Department भी 1922 में यहीं शुरू हुआ था।
LU ने हासिल की बड़ी उपलब्धियाँ
NAAC A++ ग्रेड पाने वाला पहला राज्य विश्वविद्यालय
NEP-2020 लागू करने वाला पहला विश्वविद्यालय
UGC से ग्रेड-वन विश्वविद्यालय
2024-25 NIRF में विश्व में 98वीं रैंक
QS South Asia में 244वीं रैंक
इस बार 2355 विदेशी छात्रों ने आवेदन किया—ये खुद बताता है कि दुनिया LU को कितनी गंभीरता से ले रही है।
महिला नेतृत्व में मनाया जाएगा 105वां स्थापना दिवस
LU के पहले कुलपति थे प्रो. जीएन चक्रवर्ती। अब तक 42 कुलपतियों में सिर्फ दो महिलाएँ हुई हैं- पहली थीं प्रो. रूपरेखा वर्मा, और अब कार्यवाहक कुलपति हैं प्रो. मनुका खन्ना, जो 105वें स्थापना दिवस का नेतृत्व करेंगी।
कार्यवाहक कुलपति प्रो. मनुका खन्ना के मुताबिक LU का 105 साल का सफर जितना शानदार रहा है, आने वाली पीढ़ियों के लिए यह और भी उज्ज्वल होगा। यह विश्वविद्यालय सिर्फ एक संस्था नहीं, एक विरासत है।






